उज्ज्वला गैस सिलेंडर देने DMF के नियमों में हुआ था संशोधन, अधिकारी भी बनवाने लगे स्विमिंग पूल

DMF Scam In CG : कोरबा में हुए डीएमएफ घोटाले की चर्चा पूरे प्रदेश में है यह चर्चा तब और गरमा गई जब ईडी ने 6020 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की।

author-image
VINAY VERMA
New Update
DMF rules providing Ujjwala gas cylinders amended officials building swimming pools the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

कोरबा में हुए डीएमएफ घोटाले की चर्चा पूरे प्रदेश में है यह चर्चा तब और गरमा गई जब ईडी ने 6020 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की। लेकिन द सूत्र बता रहा है कि यह घोटाला ना तो डीएमएफ गड़बड़ी की शुरुआत है और ना ही अंत..बल्कि समय-समय पर मंत्रालय से लेकर के जिला कलेक्टर इसके नियमों को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ कर फायदा उठाते रहे हैं। हालांकि डीएमएफ फंड के गड़बड़ी कोरबा और रायगढ़ में  सबसे ज्यादा सामने आई है लेकिन 12 खनन-प्रधान जिलों में भी 250 करोड़ रुपए के अनियमितताओं की जांच चल रही है। 

ये खबर भी पढ़िए...Weather Update : मानसून के एक्टिव होने पहले होगी जोरदार बारिश, अलर्ट जारी

 

उज्ज्वला सिलेंडर तक बांट दी गई थी

द सूत्र के पड़ताल में सामने आया है कि भारत सरकार की उज्जवला योजना जिसमें महिलाओं को गैस कनेक्शन नि:शुल्क देने का प्रावधान था, उसमें एक कदम आगे बढ़कर रमन सरकार ने एक गैस सिलेंडर मुफ्त देने की पहल की। इसके लिए डीएमएफ फंड तथा कैम्पा से राशि देने का प्रस्ताव रखा। विभागीय अधिकारियों ने नियम का हवाला देकर आपत्ति जताई। तो डीएमएफ के नियमों में पहली बार संशोधन कर इस प्रावधान को जोड़ा गया कि केन्द्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों के लिए भी इस फंड से राशि ली जा सकेगी।

ये खबर भी पढ़िए...4 करोड़ रुपए खर्च कर भिलाई के रिसाली में नालंदा परिसर बनाएगी सरकार

इसी संशोधन का फ़ायदा उठाकर जिलों के कलेक्टर और अधिकारियों नें इस फंड से बाउंड्री वॉल, अपने बंगलों में स्वीमिंग पुल बनवाना शुरू कर दिया एयर जगह-जगह एसी लगवाएं। कई कलेक्टरों ने तालाबों का सौंदर्यीकरण तक कराया। रायपुर के कटोरा तालाब चौपाटी का सौंदर्यीकरण डीएमएफ की राशि से किया गया, जबकि यह इलाका किसी तरह से खनिज संक्रिया से प्रभावित नहीं था। इस दौरान वर्तमान वित्तमंत्री ओपी चौधरी रायपुर कलेक्टर थे। 

भूपेश सरकार में गड़बड़ियां 


2018 में भूपेश सरकार के आने के बाद बिना जरूरत 200 करोड़ रुपये में बाजार दर से ज्यादा कीमत पर कृषि उपकरणों की खरीदी कर ली।यह खरीदी जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा और बस्तर संभाग में बिना सरकारी दर के ही खरीदारी हुई।
जिसमे आटा चक्की से लेकर तेल मिल, मिनी दाल मिल, राइस मिल, सीड ट्रिटिंग ड्रम, पैडी वीडर, हैंड नैपसेक, बैटरी चलित नैपसेक यंत्र आदि उपकरण शामिल थे। बड़ी बात यह है कि किसानों की तरफ से मांग के बिना ही दाल, तेल, चावल की मिनी प्रोसेसिंग मशीनें, मिनी आटा चक्कियों की खरीदारी हुई जो गोदाम मे पड़े-पड़े कंडम हो गई। 

ये खबर भी पढ़िए...सोनम-मुस्कान से ज्यादा खतरनाक है सुनीता, चौथी बार में चिकन-भात खिलाकर मारा

कलेक्टर जन्मेजय महोबे पर भी आरोप

अभी हाल ही में चांपा-जांजगीर के विधायक व्यास कश्यप ने विधानसभा में प्रश्न के ज़रिए खोखरा गांव में डीएमएफ फंड से खेल मैदान, सड़क और भवन निर्माण में हुई धांधली का मामला उठाया। जांजगीर चांपा के विधायक व्यास कश्यप ने कलेक्टर जनमेजय महोबे के खिलाफ  डीएमएम से हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए सरकार को पत्र लिखा है। 

कोरोनकाल में सबसे अधिक भ्रष्टाचार

रायगढ़ में डीएमएफ फंड से मिले लगभग 350 करोड़ रुपए में कोई काम नहीं हुआ। रायगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़, लैलूंगा, तमनार, खरसिया और पुसौर ब्लाक के गांवों के लगभग 1 हजार गांवों में कोई इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं हुआ। उसके बदले कोरोनाकाल में ऊंची कीमतों पर उपकरण खरीद दिए गए। कृषि, स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग ने खरीददारी।की। आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश त्रिपाठी ने करीब 350 करोड़ रु के भ्रष्टाचार की शिकायत कर जांच की मांग की है।

 

क्या था उद्देश्य

यह एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट है जो खनन से प्रभावित क्षेत्रों और व्यक्तियों के कल्याण के लिए काम करता है। 
डीएमएफ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य खनन गतिविधियों से प्रभावित लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। यह ट्रस्ट खनन कंपनियों से प्राप्त रॉयल्टी के एक हिस्से से वित्तपोषित होता है। डीएमएफ का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क, और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जाता है।

ये खबर भी पढ़िए...भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए चलेगी रथ यात्रा स्पेशल ट्रेन, देखें शेड्यूल

कलेक्टर का कट 40 प्रतिशत, 10 मातहतों को मिला

छत्तीसगढ़ में डीएमएफ की राशि की जो बंदरबाँट हुई है, वह चौंकाने वाली है। ईओडब्ल्यू द्वारा हाल ही में रायपुर कोर्ट में 6 हज़ार बीस पन्नों की चार्जशीट पेश की गई है। ईओडब्ल्यू द्वारा पेश किये गये चालान में 40 प्रतिशत कमीशन की बात कहते हुए बताया गया है कि घोटाला करने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी कर अपने करीबी ठेकेदारों को उपकृत किया जाता था। लेकिन ये मामला तो केवल एक जिले का है। छत्तीसगढ़ में अपार खनिज संपदा है।

जिससे अब तक छग को 14978.74 करोड़ की कमाई हो चुकी है। अगर  इस रकम से हुए कामो के 40 प्रतिशत राशि का अंदाजा लगाएं तो यह आंकड़ा 5 हजार 600 सौ पहुंच जाएगा। सवाल यह भी उठता है कि विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह और कॉंग्रेस की तरफ से पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और मोहन मरकाम डीएमएफ फंड में अनियमितता के खिलाफ बोल चुके हैं। लेकिन सवाल यह है कि दोनों की सरकारों में गड़बड़ी हुई तो नियमों के विरुद्घ ग़लत कामों को स्वीकृति देने वालों के विरुद्घ अब तक क्यों कार्रवाई नहीं हो रही है।

डीएमएफ घोटाले की खबर | डीएमएफ योजना | dmf scam | CG DMF SCAME | छत्तीसगढ़ DMF घोटाला | korba dmf scam

डीएमएफ डीएमएफ घोटाले की खबर डीएमएफ योजना dmf scam CG DMF SCAME छत्तीसगढ़ DMF घोटाला korba dmf scam