छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पुलिस विभाग की साख को एक बार फिर गहरी चोट पहुंची है। डायल 112 में ड्यूटी कर रहा एक आरक्षक महेंद्र साहू नशे की हालत में ड्यूटी पर पहुंचा और पहले वाहन चालक के साथ मारपीट, फिर अस्पताल में प्रधान आरक्षक को बेल्ट से पीटने की घटना को अंजाम दिया।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने आरोपी आरक्षक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया।
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डायल 112 की ड्यूटी में नशे में था आरक्षक
घटना 29 जून की रात की है। आरक्षक महेंद्र साहू की ड्यूटी डायल 112 वाहन में चालक प्रवीण कुमार साहू के साथ थी। ड्यूटी के दौरान आरक्षक ने ड्यूटी पॉइंट छोड़कर कहीं और जाने की जिद की, जिससे दोनों के बीच विवाद हो गया। देखते ही देखते यह विवाद गाली-गलौज और हाथापाई में बदल गया।
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मेडिकल टेस्ट के लिए ले जाया गया, वहां भी किया हमला
विवाद और आरक्षक की नशे की हालत की सूचना मिलते ही लालबाग पुलिस ने उसे पकड़कर बसंतपुर थाना क्षेत्र स्थित जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा। लेकिन मामला यहीं नहीं थमा अस्पताल परिसर में आरक्षक ने प्रधान आरक्षक प्रभात तिवारी पर बेल्ट से हमला कर दिया।
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SP ने लिया संज्ञान, तत्काल सस्पेंशन
घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची, और साथ ही सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। राजनांदगांव पुलिस अधीक्षक ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए तुरंत आरक्षक महेंद्र साहू को निलंबित कर दिया।
पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि “ड्यूटी पर अनुशासनहीनता और नशे की हालत में मारपीट को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
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पुलिस महकमे पर फिर उठे सवाल
यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब पुलिस सुधार और जवाबदेही की बात हो रही है। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी का इस तरह नशे में होना और हमला करना न केवल जनता के भरोसे को तोड़ता है, बल्कि विभाग की छवि को भी नुकसान पहुंचाता है।
राजनांदगांव की यह घटना बताती है कि पुलिस महकमे के भीतर आंतरिक अनुशासन कितना जरूरी है। एक आरक्षक की गलती से पूरे विभाग की साख पर असर पड़ता है। अब देखना होगा कि इस मामले में क्या विभागीय जांच आगे बढ़ती है और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होती है या नहीं।
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