छत्तीसगढ़ @25: अब गांव-गांव तक शिक्षा की रोशनी, बेहतर स्कूल और कॉलेज, रायपुर बना शिक्षाधानी

सन् 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया था, तब शिक्षा की तस्वीर बहुत साधारण थी, पर आज हालत बिल्कुल अलग है। प्रदेश की साक्षरता दर 70.28 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है।

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रायपुर.छत्तीसगढ़ ने अपने 25 बरस के सफर में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों में जो बदलाव किए हैं, वे किसी क्रांति से कम नहीं हैं। 1 नवम्बर 2000 के बाद अब 2025 में रजत जयंती वर्ष में कदम रखते हुए प्रदेश आज गर्व से कह सकता है कि उसने शिक्षा की अलख गांव-गांव तक पहुंचा दी है। स्वास्थ्य सेवाओं को आम आदमी के दरवाजे तक ला खड़ा किया है।

सन् 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया था, तब शिक्षा की तस्वीर बहुत साधारण थी, पर आज हालत बिल्कुल अलग है। प्रदेश की साक्षरता दर 70.28 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है। स्कूलों की संख्या 38,050 से बढ़कर अब 56,615 हो गई है। कॉलेज 116 से बढ़कर 656 तक पहुंच गए हैं। लड़कियों के लिए 38 अलग से हायर एजुकेशन कॉलेज खुले हैं। विश्वविद्यालयों की संख्या 4 से बढ़कर 26 तक हो चुकी है।

रायपुर बना पढ़ाई का हब 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शिक्षा के बड़े केंद्र खड़े हो चुके हैं। यहां IIT, IIM, AIIMS, NLU, IIIT और NIT जैसे राष्ट्रीय संस्थान एक ही जगह मौजूद हैं। प्रदेश में पीएमश्री स्कूलों की संख्या 341 हो गई है। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 2025-26 में छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर आ चुका है।

शिक्षा पर सबसे बड़ा निवेश

साय सरकार ने 2025 के बजट में शिक्षा पर सबसे ज्यादा फोकस किया है। कुल 22,356 करोड़ रुपए स्कूल शिक्षा विभाग के लिए रखे गए हैं। इसमें पीएम श्री स्कूल, नालंदा पुस्तकालयों की स्थापना, राष्ट्रीय जंबूरी का आयोजन और 25 कॉलेजों को उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए 75 करोड़ रुपये शामिल हैं।

भविष्य के युवा होंगे तैयार 

रायपुर में IIM और NIT के साथ मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन के बीच एमओयू हुआ है, जिसके तहत ‘नवाचार और उद्यमिता उत्कृष्टता केंद्र’ स्थापित किया जाएगा। इसका मकसद युवाओं को रिसर्च और स्टार्टअप्स की दिशा में तैयार करना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। प्रदेश के प्रमुख संस्थानों में हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी शामिल हैं।

मेडिकल शिक्षा में बड़ा विस्तार

स्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा में भी प्रदेश पीछे नहीं है। आज यहां कुल 15 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें एम्स रायपुर भी शामिल है। एमबीबीएस की सीटें 1915 तक पहुंच चुकी हैं। इनमें 1465 सरकारी संस्थानों में और 450 निजी संस्थानों में हैं। वहीं, बिलासपुर, सरगुजा, राजनांदगांव और जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज राज्य को मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था देते हैं।

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युक्तियुक्तकरण से सुधरी व्यवस्था

प्रदेश सरकार ने हाल ही में बड़ा कदम उठाते हुए "युक्तियुक्तकरण" लागू किया। इस नीति से शिक्षकों का संतुलित वितरण हुआ है। पहले 453 स्कूल बिना शिक्षक के थे, लेकिन अब एक भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है। 5936 एकल-शिक्षक विद्यालयों में से 4728 में अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती की गई है। इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है और शिक्षा की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार आया है।

25 साल की उपलब्धियों का सार

25 बरस पहले छत्तीसगढ़ के पास न तो इतने विश्वविद्यालय थे, न इतने कॉलेज, न ही मेडिकल शिक्षा का इतना बड़ा ढांचा। अब छत्तीसगढ़ का 25 साल का सफर बताता है कि जब संकल्प स्पष्ट हो और प्राथमिकता शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों पर हो, तो बदलाव असंभव नहीं रहता। आने वाले वर्षों में यह प्रदेश शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में देश का रोल मॉडल बनने की ओर बढ़ रहा है। CG News | छत्तीसगढ़ न्यूज

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विष्णुदेव साय CG News छत्तीसगढ़ न्यूज