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छत्तीसगढ़ में 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर छत्तीसगढ़ सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह शराब घोटाले को लेकर कितनी गंभीर है लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अभी तक ऐसे अधिकारी से पूछताछ तक नहीं की गई है जिसे शुरुआती समय में खुद भाजपा ही मास्टरमाइंड बता रही थी।
इतना ही नहीं ऐसे अधिकारी को जांच के दायरे से बाहर कर दिया गया, जिसके ऊपर शराब दुकानों के मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी थी। फ्लाइंग स्कवाड के अधिकारियों को अभयदान मिला हुआ है जबकि ED के अनुसार 6 लाख पेटी से अधिक अवैध शराब का ट्रांसपोटेशन हुआ। ऐसे में सवाल उठ रहा कि कही इसके पीछे का कारण इनका प्रभावशील होना तो नहीं।
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विवेक ढांड से पूछताछ नहीं
शराब घोटाले के शुरुआरी दिनों में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम बड़ी जोरशोर से आया। खुद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया था। जिसके पीछे का कारण अनिल टुटेजा का करीबी होना था। EOW ने अपनी जांच में इनका नाम भी शामिल किया था। लेकिन बड़ी बात यह है कि अभी तक न तो EOW ने और न ही ED ने इनसे पूछताछ की।
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आशीष श्रीवास्तव का नाम ही गायब
शराब घोटाले को लेकर एक और अधिकारी आशीष श्रीवास्तव भी भाजपा के हिट लिस्ट में थे। ये पूरे प्रदेश के शराब दुकानों की मॉनिटरिंग में लगे सिस्टम के प्रभारी थे। होलोग्राम के जांच का भी जिम्मा इनके पास ही था। बताया जा रहा था इनके अनुसार ही लोगो को कार्यभार सौंपा जाता था। उस दौरान निचले स्तर की नियुक्तियां भी बिना इनकी स्वीकृति के नहीं होती थीं। कुछ दिनों तक इनसे पूछताछ भी हुई लेकिन अब जांच एजेंसियां इनके नाम का जिक्र तक नहीं करतीं।
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फ्लाइंग स्कवाड की अहम भूमिका
ED के अनुसार केवल तीन सालों में अवैध शराब के 6 लाख से ज्यादा पेटी का परिवहन हुआ। अगर ऐसा हुआ तो इसकी मॉनिटरिंग करने वाला फ्लाइंग स्कवाड को जानकारी क्यों नहीं हुई? या जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार फ्लाइंग स्कवाड के अधिकारियों को अब तक पूछताछ के दायरे से बाहर रखा गया है। जबकि जिला, सम्भाग के अलावा प्रदेश स्तर के अधिकारी इसका हिस्सा होते हैं।
बीजेपी नेता भी कार्रवाई पर उठा चुके हैं सवाल
3200 करोड़ के शराब घोटाले को लेकर भाजपा नेता भी जांच एजेंसी ACB के कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। भाजपा कार्यालय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चंद्र गुप्ता ने इस मामले में ACB के आचरण को “संदिग्ध और मनमाना” करार दिया था। नरेश गुप्ता के अनुसार ACB का मौजूदा रवैया संदेहास्पद है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ प्रभावशाली अधिकारियों को बचाने की तैयारी चल रही है।
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गुप्ता ने ट्वीट कर लिखा कि, “भूपेश बघेल के नेतृत्व में जो शराब घोटाला हुआ, उसके मूल में खुद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, निरंजनदास, एपी त्रिपाठी, टूटेजा, अनवर ढेबर और आबकारी विभाग के तमाम अधिकारी हैं।“
अधिकारियों को छोड़ने की तैयारी क्यों की जा रही है?
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