छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस डाक्टर्स की बांड पोस्टिंग के लिए की जा रही ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA) ने इस पूरे प्रकरण को उजागर करते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप की मांग की है।
एसोसिएशन के अनुसार, काउंसलिंग के दौरान मेरिट सूची तैयार करते समय अंकों में हेरफेर किया गया है। आरोप है कि कई डाक्टर्स की मार्कशीट में दर्ज प्राप्तांक बदलकर कम या ज्यादा अंक दर्ज किए गए, जिससे मेरिट सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव हुआ। यह बदलाव अपनों को बैकडोर इंट्री देने की मंशा से किया गया है।
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मुख्य शिकायतें और मुद्दे:
फर्जी मेरिट लिस्ट: स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेरिट सूची और यूनिवर्सिटी द्वारा जारी मार्कशीट में भारी अंतर देखा गया है। इसके चलते योग्य छात्रों को पीछे कर अपात्रों को ऊपर स्थान दिया गया है।
वैकेंसी छुपाना: रायपुर और बिलासपुर के स्वास्थ्य केंद्रों समेत कई प्रमुख अस्पतालों को वैकेंसी लिस्ट से बाहर रखा गया है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
न्यायोचित वेतन की मांग: वर्तमान में बांड के तहत कार्यरत एमबीबीएस डॉक्टर्स को ₹45,000 वेतन मिल रहा है, जबकि रेगुलर डॉक्टर्स को ₹90,000–₹1,00,000 मिलते हैं। एसोसिएशन ने न्यूनतम ₹75,000 वेतन एवं अन्य सुविधाओं की मांग की है।
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अधूरी चयन प्रक्रिया से नुकसान: काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी के कारण डॉक्टर्स की बॉन्ड सेवा अवधि अनावश्यक रूप से लंबी हो रही है, जिससे उनके करियर, पीजी की तैयारी आदि प्रभावित हो रहे हैं।
एसोसिएशन की मांगें:
सभी वर्ष के अंकों के आधार पर नई मेरिट सूची बनाई जाए।
अंक त्रुटियों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई हो।
वेतन असमानता दूर की जाए और सुविधाएं बढ़ाई जाएं।
अद्यतन वैकेंसी लिस्ट सार्वजनिक की जाए।
काउंसलिंग की देरी से बनी अतिरिक्त सेवा अवधि को कुल बॉन्ड अवधि से घटाया जाए।
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आंदोलन की चेतावनी:
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे सामूहिक ज्ञापन, जनजागरण अभियान और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे।
स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी इस प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी ने न केवल छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन की पारदर्शिता और नियत को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना यह है कि शासन इस दिशा में कितनी तत्परता से सुधारात्मक कदम उठाता है।
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