पटवारी से आरआई परीक्षा में फर्जीवाड़ा, डेढ़ साल से चार विभागों में सिर्फ चिट्ठी पर चिट्ठी का खेल

छत्तीसगढ़ में जनवरी 2024 में विभागीय परीक्षा हुई जिसमें पटवारी को आरआई यानी राजस्व निरीक्षक बनाना था। इस परीक्षा में फर्जीवाड़ा हो गया और पटवारी भी राजस्व निरीक्षक बन गए। इसके बाद भी डेढ़ साल से जांच के नाम सिर्फ सरकारी चिट्ठी पर चिट्ठी ही चल रही है।

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Arun Tiwari
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Fraud in Patwari RI exam just letter after letter game in four departments for one and a half years
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में सुशासन की सरकार है। यह जुमला है या सच्चाई। सवाल तो उठेगा क्योंकि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नहीं बल्कि इग्नोरेंस दिखाई दे रहा है। जनवरी 2024 में विभागीय परीक्षा हुई जिसमें पटवारी को आरआई यानी राजस्व निरीक्षक बनाना था। इस परीक्षा में फर्जीवाड़ा हो गया और पटवारी भी राजस्व निरीक्षक बन गए।

सरकार मानती है कि फर्जीवाड़ा हुआ है और दर्जन भर लोग ऐसे हैं जो आपस में रिश्तेदार थे। इसके बाद भी डेढ़ साल से जांच के नाम सिर्फ सरकारी चिट्ठी चल रही है। राजस्व, गृह, जीएडी और ईओडब्ल्यू के बीच घूम रही यह चिट्ठी कोई मुकम्मल काम नहीं कर पा रही है। जांच के बोझ तले दबे ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी तो दर्ज कर ली लेकिन एफआईआर एक भी नहीं हुई।

विभाग ने जो जांच कमेटी बनाई थी उसने सबको क्लीन चिट दे दी। इसके बाद ही फिर से जांच कराने की मांग उठी। सत्ता पक्ष के वरिष्ठ विधायक राजेश मूणत कहते हैँ कि न जाने किसको बचाने की कोशिश हो रही है। 

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एक और फर्जीवाड़े की परीक्षा 

जनवरी 2024 में राजस्व विभाग ने 90 पदों के लिए विभागीय परीक्षा आयोजिक की। इस विभागीय परीक्षा में पटवारी को आरआई के पद पर प्रमोशन देना था। यह परीक्षा होने के पहले ही इस बात का खुलासा हो गया कि पेपर लीक हो गया है और पहले से ही चयनित लिस्ट तैयार कर ली गई है। पटवारियों के संगठन ने इस बात की शिकायत राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा से की। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया और परीक्षा करा ली गई। शिकायत में यह भी कहा गया था कि 22 अभ्यर्थियों ने एक साथ बैठकर परीक्षा दी और सभी पास भी हो गए।

मामला बढ़ा और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक राजेश मूणत ने इसे विधानसभा में उठाया। राजेश मूणत ने कहा कि आखिर इसमें किसको बचाया जा रहा है। इसके बाद सरकार हरकत में आई और जांच बैठा दी। अब चिट्ठी पर चिट्ठी चल रही हैं लेकिन डेढ़ साल बाद भी ये पता नहीं चल पाया है कि इसके पीछे कौन जिम्मेदार है।

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सिर्फ चिट्ठी पर चिट्ठी 

 अब हम आपको बताते हैं कि डेढ़ साल से इस फर्जीवाड़े के नाम पर सिर्फ चिट्ठी पर चिट्ठी चल रही है। यह चिट्ठी राजस्व विभाग, गृह विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग और ईओडब्ल्यू के बीच घूम रही है। राजस्व विभाग ने पांच सदस्यीय जांच दल बनाया और उसकी रिपोर्ट आने के बाद गृह विभाग को इस मामले की जांच करने के लिए चिट्ठी लिखी।

फरवरी 2025 में गृह विभाग ने राजस्व विभाग को चिट्ठी भेजकर कहा कि जांच के लिए और एफआईआर कराने में आप खुद सक्षम हैं। इसके बाद मार्च 2025 मे राजस्व विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग को चिट्ठी लिखी। इसमें कहा गया कि एसीबी,ईओडब्ल्यू से इस मामले की जांच कराई जाए। एक पत्र ईओडब्ल्यू तक पहुंचा तो ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज कर ली लेकिन पांच महीने बीच जाने के बाद भी किसी पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।    

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आधी अधूरी जांच, किसी पर नहीं आई आंच 

राजस्व संघ की शिकायत के बाद राजस्व विभाग ने 23 अगस्त 2024 को जांच दल का गठन किया। विभागीय अधिकारी केडी कुंजाम की अगुवाई में ये टीम गठित की गई। इस टीम ने जांच कर 29 नवंबर 2024 को सरकार को जांच रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में पहली लाइन में यह कह दिया गया कि इसमें किसी की सीधी संलिप्पता जाहिर नहीं हो रही है। इस रिपोर्ट में बाद में कहा गया कि 7 पटवारी इस अनियमितता में शामिल थे। इन 7 में से 3 पटवारियों ने ही यह परीक्षा पास की।

इस जांच टीम ने इन तीन पटवारियों की जांच करने की जरुरत ही नहीं समझी। इस जांच रिपोर्ट से कुछ भी कहा जाना संभव नहीं है,यह जांच पुलिस द्वारा ही संभव है। मोबाइल नंबर,कॉल डिटेल्स और लोकेशन की जांच पर कमेटी ने कहा कि यह उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता। यह काम पुलिस का है। शिकायत में सांख्यिकी अधिकारी हेमंत कौशिक के अनियमितता में शामिल होने की बात कही गई थी। परीक्षा के बाद उन्होंने बस्तर संभाग के दौरे किए और पटवारियों से मुलाकात की गई।

कौशिक ने कह दिया कि 2019 से उनके पास बस्तर का प्रभार है और वे साल में 6-8 बार बस्तर के दौरे पर जाते हैं। इसके अलावा वे बस्तर घूमने भी जाते हैं। कौशिक ने कहा कि उनके खिलाफ शिकायत निराधार है। जांच कमेटी ने कह दिया कि यह जांच भी पुलिस ही कर सकेगी। इस जांच कमेटी में 13 लोगों को आपस में रिश्तेदार होने का जिक्र भी किया गया है। सरकार कहती है कि जांच कमेटी ने परीक्षा में गड़बड़ी के लिए दोषी पाए जाने के बारे में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का नाम उल्लेख नहीं किया है। इसके बाद से ही चिट्ठियां एक दूसरे विभागों को भेजी जाती रहीं। 

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