Special Story Day : 1
Ganesh Chaturthi 2024 : छत्तीसगढ़ में भगवान गणेश के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन्हीं प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर दंतेवाड़ा में स्थित है। इस मंदिर की कहानी जितनी ही रोचक है उतना ही चमत्कारी यह मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश की मन से पूजा-अर्चना करने से बाप्पा सभी की मनोकामना पूरी करते हैं।
3000 फीट की ऊंचाई में विराजित हैं भगवान गणेश की प्रतिमा
दंतेवाड़ा जिले से करीब 13 किमी दूर ढोलकल की पहाड़ियों पर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर भगवान गणेश की प्रतिमा विराजित है। यह भव्य गणेश प्रतिमा आज भी लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है। बता दें कि भगवान गणेश की यह प्रतिमा करीब एक हजार साल पुरानी है। भगवान गणेश की इस प्रतिमा को नागवंशी राजाओं ने स्थापित किया था।
10वीं-11वीं शताब्दी की है प्रतिमा
सदियों पहले इतने दुर्गम इलाके में हजारों फीट की ऊंचाई पर स्थापित की गई यह गणेश प्रतिमा आश्चर्य के कम नहीं है। यहां पर पहुंचना आज भी बहुत जोखिम भरा काम है। पुरातत्वविदों का अनुमान यह है 10वीं-11वीं शताब्दी में दंतेवाड़ा क्षेत्र के रक्षक के रूप नागवंशियों ने गणेश जी की यह मूर्ति यहां पर स्थापना की थी।
ग्रेनाइट पत्थर से है मूर्ति
पहाड़ी पर विराजीत भगवान गणेश की प्रतिमा लगभग 3-4 फीट ऊंची ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई है। भगवान गणेश की यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से बहुत ही कलात्मक है। गणपति की इस प्रतिमा में ऊपरी दाएं हाथ में फरसा, ऊपरी बाएं हाथ में टूटा हुआ एक दंत है। वहीं नीचे दाएं हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण किए हुए तथा नीचे बाएं हाथ में मोदक धारण किए हुए हैं। पुरातत्वविदों के मुताबिक इस प्रकार की प्रतिमा बस्तर इलाके में कहीं नहीं मिलती है।
इसलिए पड़ा नाम दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा का नाम दंतेवाड़ा कैसे और क्यों पड़ा इसके पीछे भी रोचक कहानी है। दंतेश का क्षेत्र (वाड़ा) को दंतेवाड़ा कहा जाता है। बता दें कि दंतेवाड़ा में एक कैलाश गुफा भी है। यहां के लोगों की यह मान्यता है कि दंतेवाड़ा कैलाश का क्षेत्र है। यही पर भगवान परशुराम और भगवान गणेश के बीच युद्ध हुआ था।
इस युद्ध में गणपति का एक दांत टूटकर यहां गिरा था। तभी से गणपति का एकदंत नाम भी पड़ा। यहां पर दंतेवाड़ा से ढोलकल पहुंचने के मार्ग में एक गांव परसपाल मिलता है, जो परशुराम के नाम से जाना जाता है। इसके आगे एक गांव कोतवाल पारा आता है। कोतवाल का अर्थ होता है रक्षक।
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