भारतनेट घोटाला में टाटा के काम की जांच के लिए सरकारी ऑडिट शुरू, 167 करोड़ की जब्त राशि पर नजर

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान शुरू की गई भारतनेट-2 परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच अब और गहन हो गई है। 'द सूत्र' ने 21 जुलाई को इस मामले को "1600 करोड़ लेकर टाटा ने किया टाटा, 7 साल में सिर्फ 200 पंचायतों में इंटरनेट" शीर्षक से उठाया था।

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Krishna Kumar Sikander
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Government audit begins to investigate Tata work in Bharatnet-2 scam the sootr
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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान लागू भारतनेट-2 परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच का दायरा अब और गहरा हो गया है। द सूत्र ने इस मामले को गत 21 जुलाई को 1600 करोड़ लेकर टाटा ने किया टाटा, 7 साल में सिर्फ 200 पंचायतों में इंटरनेट शीर्षक से रखा था। इस महत्वाकांक्षी डिजिटल कनेक्टिविटी परियोजना के तहत टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (TPL) द्वारा किए गए कार्यों का अब सरकारी उपक्रम टेलीकम्युनिकेशन कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (TCIL) द्वारा ऑडिट किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (CHiPS) ने TCIL को यह जिम्मेदारी सौंपी है, ताकि परियोजना में हुए काम की गुणवत्ता, खामियों और मरम्मत के लिए आवश्यक लागत का सटीक आकलन किया जा सके। इस बीच, टाटा की 167 करोड़ रुपये की अमानत राशि जब्त की जा चुकी है, और CHiPS ने भारत सरकार से इस राशि का उपयोग मरम्मत कार्यों के लिए करने की अनुमति मांगी है।

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भारतनेट-2 परियोजना में अनियमितताओं का पर्दाफाश

भारतनेट-2 परियोजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना था, लेकिन टाटा प्रोजेक्ट्स द्वारा समय पर कार्य पूरा न करने और अनुबंध की शर्तों का पालन न करने के कारण यह परियोजना विवादों में घिर गई। जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जिनमें शामिल हैं। 


400 करोड़ की फाइलें गायब : CHiPS के कार्यालय से परियोजना से संबंधित 400 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण फाइलें गायब होने की बात सामने आई है।

संदिग्ध सब-कॉन्ट्रैक्टिंग : टाटा ने एक साल पुरानी कंपनी गैलेक्सी सिनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को 275 करोड़ रुपये का काम सौंपा, जिसकी विश्वसनीयता और अनुभव पर सवाल उठ रहे हैं।

अमानत राशि जब्त : अनुबंध उल्लंघन के कारण टाटा की 167 करोड़ रुपये की अमानत राशि जब्त की गई है।

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ऑडिट की प्रक्रिया से हर पहलू की गहन जांच

TCIL को सौंपा गया ऑडिट कार्य निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित होगा

फाइबर बिछाने की गुणवत्ता : ग्राम पंचायतों में जमीन के नीचे बिछाए गए ऑप्टिकल फाइबर की गहराई (न्यूनतम 1.5 मीटर) और उसकी स्थिति की जांच।

राउटर और यूपीएस की स्थिति : राउटर और अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई (UPS) की कार्यक्षमता का मूल्यांकन, जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या इन्हें मेंटेनेंस से ठीक किया जा सकता है या बदलना होगा।

कंप्लीशन सर्टिफिकेट की सत्यता : जिन पंचायतों के लिए कार्य पूर्ण होने का दावा किया गया है, वहां वास्तव में काम हुआ है या नहीं, इसकी पड़ताल।

ग्राम पंचायतों को लाइव करने की लागत : प्रत्येक पंचायत को डिजिटल कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए आवश्यक मरम्मत और खर्च का ब्यौरा।

CHiPS ने भारत सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जब्त की गई 167 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग इन मरम्मत कार्यों के लिए किया जाए, ताकि परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।

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कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने

इस मामले ने छत्तीसगढ़ में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केंद्रीय दूरसंचार मंत्री को पत्र लिखकर टाटा को किए गए अतिरिक्त भुगतान की वसूली और गहन जांच की मांग की है। दूसरी ओर, भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर इसे राज्य का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार करार दिया है। उन्होंने टाटा को दिए गए प्रत्येक पैसे की जांच की मांग की है। दोनों पक्षों के इन आरोप-प्रत्यारोपों ने इस मामले को और जटिल बना दिया है।

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टाटा का जवाब, मामला कोर्ट में, आरोप गलत

टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के प्रोजेक्ट हेड मीनाक्षी सुंदरम ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारतनेट-2 परियोजना में लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। उन्होंने बताया कि यह मामला वर्तमान में कोर्ट में विचाराधीन है, और कंपनी ने सभी तथ्य और दस्तावेज न्यायिक मंच के समक्ष प्रस्तुत किए हैं। टाटा ने कानूनी प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया है।

CHiPS का आधिकारिक बयान

CHiPS के सीईओ प्रभात मलिक ने कहा, "भारतनेट-2 परियोजना का कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ, और टाटा प्रोजेक्ट्स ने अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया। इस कारण उनकी 167 करोड़ रुपये की अमानत राशि जब्त की गई है। अब इस परियोजना के सभी कार्यों का ऑडिट भारत सरकार के उपक्रम TCIL से करवाया जा रहा है। हमने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि जब्त राशि का उपयोग मरम्मत कार्यों के लिए किया जाए।

भारतनेट-2 का महत्व और चुनौतियां

भारतनेट-2 परियोजना का लक्ष्य छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़कर डिजिटल भारत के सपने को साकार करना था। यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और प्रशासनिक सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती थी। हालांकि, खराब कार्यान्वयन, कथित भ्रष्टाचार, और अनुबंध उल्लंघन ने इस परियोजना को विवादों में ला खड़ा किया है। ऑडिट के परिणाम इस बात को स्पष्ट करेंगे कि परियोजना को पटरी पर लाने के लिए कितना अतिरिक्त निवेश और समय चाहिए।

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