सरकारी अफसर ने बनाया प्रोडक्ट खरीदने का दबाव, कर्मचारी ने की आत्महत्या की कोशिश

कोटा थाना क्षेत्र में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड में पदस्थ एक असिस्टेंट इंजीनियर ने अपने मातहत कर्मचारी को नेटवर्क मार्केटिंग के दबाव में ऐसा प्रताड़ित किया कि कर्मचारी ने आत्महत्या करने की कोशिश कर ली।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग और बिजली विभाग में 'मालिक माइंडसेट' वाले अफसरों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला कोटा थाना क्षेत्र का है, जहां सीएसईबी (छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड) में पदस्थ एक असिस्टेंट इंजीनियर ने अपने मातहत कर्मचारी को नेटवर्क मार्केटिंग के दबाव में ऐसा प्रताड़ित किया कि कर्मचारी ने आत्महत्या करने की कोशिश कर ली। इस सनसनीखेज घटना ने पूरे विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

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लालच में फंसा इंजीनियर

जानकारी के अनुसार, सीएसईबी में सहायक अभियंता (Assistant Engineer) के पद पर कार्यरत गजेंद्रनाथ सोनी "हर्बल लाइफ" नामक कंपनी से जुड़ा हुआ है। सरकारी नौकरी में होने के बावजूद वह नेटवर्क मार्केटिंग को प्रमुख धंधा बना चुका है। इस लालच में उसने विभागीय मर्यादाएं तक तोड़ दीं और अपने ही अधीनस्थ कर्मचारी ओमप्रकाश जायसवाल पर जबरन प्रोडक्ट खरीदने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।

जबरन दुकान में छोड़ा प्रोडक्ट

गजेंद्रनाथ ने 25 अप्रैल को ओमप्रकाश के गांव बिल्लीबंद (ग्राम नवागांव, सलकारोड) पहुंचकर उसकी छोटी सी किराना दुकान में हर्बल प्रोडक्ट जबरन छोड़ दिए और बदले में ₹11,000 की वसूली भी कर ली। ओमप्रकाश, जो कि 132 केवीए सब स्टेशन में ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है, ने कुछ दिनों बाद यह कहकर प्रोडक्ट लौटाना चाहा कि गांव में इसकी कोई डिमांड नहीं है, लेकिन इंजीनियर ने प्रोडक्ट वापस लेने से साफ इनकार कर दिया।

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धमकियों से टूट गया कर्मचारी

प्रोडक्ट लौटाने की कोशिश के बाद गजेंद्रनाथ ने ओमप्रकाश को कोटा नाका चौक बुलाया और वहां उसे गालियां दीं, नौकरी से निकालने की धमकी दी, यहां तक कि जान से मारने की भी चेतावनी दे डाली। इस मानसिक प्रताड़ना से परेशान होकर ओमप्रकाश ने पेट्रोल पी लिया और आत्महत्या की कोशिश की। उसे तुरंत गंभीर हालत में बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।

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पुलिस ने दर्ज किया मामला

इस पूरे मामले में कोटा थाना पुलिस ने संज्ञान लेते हुए गजेंद्रनाथ सोनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है, लेकिन इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विभागीय अधिकारी अपने पद का कैसे दुरुपयोग कर रहे हैं और कर्मचारियों को निजी लाभ के लिए मानसिक प्रताड़ना दे रहे हैं।

बिलासपुर की यह घटना केवल एक कर्मचारी की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही और अफसरशाही की पोल खोलती है। शासन और संबंधित विभाग को अब आंखें खोलने की जरूरत है, ताकि ऐसे मालिक माइंडसेट वाले अफसरों पर लगाम लगाई जा सके और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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