छत्तीसगढ़ में शोध पीठों ने 6 साल में नहीं किया एक लाइन का शोध, खाली पड़े संस्थानों में खर्च हो गए 60 लाख

छत्तीसगढ़ में 8 राजकीय शोधपीठ काम कर रही हैं। यानी इनका गठन सरकार ने किया। इन शोधपीठों को स्थापित हुए 6 साल बीत गए हैँ। यानी इस सरकार से पहले भूपेश सरकार ने इन शोधपीठों की स्थापना की थी।

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Arun Tiwari
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Raipur. छत्तीसगढ़ में 8 राजकीय शोधपीठ काम कर रही हैं। यानी इनका गठन सरकार ने किया। इन शोधपीठों को स्थापित हुए 6 साल बीत गए हैं। यानी इस सरकार से पहले भूपेश सरकार ने इन शोधपीठों की स्थापना की थी। इन छह सालों में इन्होंने एक पंक्ति का शोध नहीं किया। हालत तो ये है कि इन शोधपीठ के पास न अध्यक्ष है और न ही कोई स्टॉफ है। शोधपीठ बस शोपीस बनकर रह गई हैं। यही नहीं इन शोधपीठों को 62 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की। तो साल 2024 तक की ये जानकारी सामने आई। अभी भी इन शोधपीठों की हालत कुछ बदली नहीं है। 

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शोध पीठ बनाम शोपीस :

छत्तीसगढ़ में सरकार ने बनाई 8 शोधपीठ बस शोपीस बनकर रह गई हैं। अलग अलग विश्वविद्यालयों में इन शोधपीठों की स्थापना की गई। इनके लिए अध्यक्ष से लेकर भृत्य तक पद भी स्वीकृत किए गए। अध्यक्ष का मानदेय 75 हजार रुपए महीने तय किया गया। लेकिन इसके बाद भी सरकार इन शोधपीठ का कोई उपयोग नहीं कर पाई। इन शोधपीठों में न अध्यक्ष है, न अनुसंधान अधिकारी है, न स्टेनोग्राफर है और न ही भृत्य है। सरकार ने इनका गठन तो कर दिया लेकिन ये खाली ही पड़ी रहीं।

भूपेश सरकार ने इनकी स्थापना की थी और इस सरकार को बने दो साल हो गए हैं लेकिन इनकी हालत नहीं बदली। इनका मकसद था कि छत्तीसगढ़ की रीति रिवाज, परंपरा, संस्कृति, साहित्य, लोक कला, लोकगीत, लोकनृत्य,भाषा-बोली और राज्य का समृद्ध इतिहास पर शोध हो और साहित्य बने जिससे ये लोगों तक पहुंचे। इन शोधपीठों के जरिए पूरे देश में छत्तीसगढ़ का नाम सांस्कृतिक तौर पर समृद्ध राज्य के रुप में लिया जाए। लेकिन इस मकसद को पूरा करने की चिंता सरकारों को नहीं रही और ये शोधपीठ बस शोपीस बनकर रह गए हैं।

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ये है छत्तीसगढ़ के शोधपीठों की स्थिति : 

पंडित रविशंकर शुक्ल : 
गुरु घासीदास शोध पीठ - अध्यक्ष, सहायक ग्रेड 3, भृत्य - तीनों पद खाली

कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय : 

  • माधवराव सप्रे शोधपीठ - अध्यक्ष, अनुसंधान अधिकारी, सहायक ग्रेड 3 - तीनों पद खाली
  • पं दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ - अध्यक्ष, अनुसंधान अधिकारी, सहायक ग्रेड 3 - तीनों पद खाली
  • हिंद स्वराज शोध पीठ - अध्यक्ष, अनुसंधान अधिकारी, सहायक ग्रेड 3 - तीनों पद खाली
  • कबीर अध्ययन केंद्र - अध्यक्ष, अनुसंधान अधिकारी,अनुसंधान सहायक, सहायक ग्रेड 3, भृत्य - पांचों पद खाली

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी : 

  • पंडित सुंदरलाल शर्मा शोध पीठ - प्राध्यापक - पद खाली
  • पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी शोध पीठ - अध्यक्ष, स्टेनोग्राफर,भृत्य - तीनों पद खाली
  • पंडित लखनलाल शोधपीठ- अध्यक्ष, अनुसंधान अधिकारी,कंप्यूटर ऑपरेटर - तीनों पद खाली

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ये किया शोध कार्य : 

गुरु घासीदास शोध पीठ - कोई शोध नहीं
माधवराव सप्रे शोधपीठ - कोई शोध नहीं
पं दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ - कोई शोध नहीं
हिंद स्वराज शोध पीठ - कोई शोध नहीं
कबीर अध्ययन केंद्र - कबीर पर दो किताबें और दो व्याख्यान 
पंडित सुंदरलाल शर्मा शोध पीठ - कोई शोध नहीं
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी शोध पीठ - कोई शोध नहीं
पंडित लखनलाल शोधपीठ- कोई शोध नहीं

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इस तरह खर्च हुए 62 लाख रुपए : 

- कबीर अध्ययन केंद्र ने दो किताबें कहत कबीर और संत कबीर का छत्तीसगढ़ पब्लिश कीं। इसके अलावा पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया के साथ विमर्श और ऑनलाइन विचारक पुरुषोत्तम अग्रवाल का व्याख्यान। इन कार्यक्रमों के लिए कबीर अध्ययन केंद्र को 20 लाख रुपए दिए गए। 

- पंडित लखनलाल शोधपीठ- इस शोधपीठ ने कोई शोध तो नहीं किया लेकिन इस शोधपीठ को साल 2019-20 से 2024-25 तक 42 लाख रुपए भुगतान किए गए।

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