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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में एक ओर जहां जांच एजेंसियां ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार दो प्रमुख आरोपियों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने कारोबारी अनवर ढेबर और पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा की उत्तर प्रदेश में हुई गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए उन्हें जमानत दे दी है।
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हाईकोर्ट का बयान
इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और मदन पाल सिंह ने मेरठ में दर्ज एफआईआर के आधार पर हुई गिरफ्तारी को खारिज करते हुए कहा कि गिरफ्तारी ज्ञापन में स्पष्ट रूप से गिरफ्तारी के कारण या आधार का उल्लेख नहीं था।
याचिकाकर्ताओं को उनकी गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 का उल्लंघन है।
कोर्ट ने इसे एक प्रक्रियात्मक त्रुटि नहीं, बल्कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना और गिरफ़्तारी को अवैध करार दिया।
दोनों आरोपी छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले और उससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जांच एजेंसियों की निगरानी में हैं।
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शराब कारोबारी विजय भाटिया रिमांड पर
इधर छत्तीसगढ़ में इस घोटाले को लेकर ईओडब्ल्यू (EOW) और एसीबी (ACB) की कार्रवाई भी तेज हो गई है। रविवार को रायपुर कोर्ट ने शराब कारोबारी विजय भाटिया को 4 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। भाटिया अब 6 जून तक EOW की हिरासत में रहेगा, जहां उससे पूछताछ की जाएगी।
विजय भाटिया को दिल्ली से गिरफ़्तार कर रायपुर लाया गया था। कोर्ट में पेशी के बाद उसे पुलिस रिमांड पर सौंपा गया। इस दौरान ईओडब्ल्यू की टीम ने दुर्ग-भिलाई के 5 ठिकानों पर छापेमारी कर अहम दस्तावेज़ भी जब्त किए हैं।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ में कथित ₹2000 करोड़ के शराब घोटाले की जांच बीते कई महीनों से जारी है। आरोप है कि राज्य में शराब वितरण और ठेकों के नाम पर बड़े स्तर पर घोटाला किया गया, जिसमें राजनेता, नौकरशाह, कारोबारी और सरकारी अफसर भी शामिल हैं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्य की EOW/ACB दोनों स्तरों पर जांच चल रही है।
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अब तक की मुख्य घटनाएं
10 मई: यूपी के मेरठ में दर्ज FIR में अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा को गिरफ्तार किया गया।
हाईकोर्ट फैसला: गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए जमानत दी गई।
2 जून: शराब कारोबारी विजय भाटिया दिल्ली से गिरफ़्तार।
3 जून: रायपुर कोर्ट में पेशी, चार दिन की रिमांड मंजूर।
ईओडब्ल्यू की छापेमारी: दुर्ग-भिलाई के 5 ठिकानों पर रेड।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला जहां एक ओर न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता की मिसाल है, वहीं छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि जांच एजेंसियां मामले को अंजाम तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। आने वाले दिनों में शराब घोटाले की जांच में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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