छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी केस में कोई भी कागज (जैसे कोई एग्रीमेंट या समझौता) दिखाया जाता है, तो उसकी असली कॉपी (Original Document) दिखाना जरूरी है। अगर असली कागज खो गया हो या नष्ट हो गया हो, तभी उसकी फोटोकॉपी या दूसरी कॉपी (Secondary Evidence) को कोर्ट में दिखाया जा सकता है।
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनाया।
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क्या है पूरा मामला?
विजय उरांव नाम के युवक पर एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसने शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी से मना कर दिया। पुलिस ने केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया और कोर्ट में मामला चलने लगा।
जब केस की सुनवाई चल रही थी, तो महिला ने कोर्ट में एक विवाह का एग्रीमेंट पेश किया, लेकिन उसकी केवल फोटोकॉपी दी गई। असली कॉपी नहीं थी।
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युवक ने कोर्ट में क्या कहा?
विजय उरांव ने कोर्ट में कहा कि यह कागज पहले कभी जांच के दौरान नहीं दिखाया गया। ना ही पुलिस को और ना ही कोर्ट को पहले बताया गया था कि ऐसा कोई कागज है। अब अचानक गवाही के दौरान बिना बताकर उसकी फोटोकॉपी पेश कर दी गई, जो नियम के खिलाफ है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
असली दस्तावेज जरूरी है। अगर वो खो गया हो या जानबूझकर छुपा दिया गया हो, तो उसकी फोटोकॉपी (Secondary Evidence) तभी चलेगी।अचानक कोर्ट में बिना बताकर फोटोकॉपी देना और कोर्ट का उसे मान लेना कानूनन गलत है।
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आगे की कार्रवाई
इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि अब किसी भी केस में फोटोकॉपी तभी चलेगी जब यह साबित हो जाए कि असली कागज नहीं मिल रहा है। यह फैसला भविष्य के मामलों में भी महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा।यह निर्णय छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के दंड प्रक्रिया और साक्ष्य प्रस्तुति के सिद्धांतों के लिए एक महत्वपूर्ण नज़ीर बन गया है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि न्याय की प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रमाणिकता सर्वोपरि है। दस्तावेजों की गुपचुप तरीके से पेशी और मूल प्रमाण की गैरमौजूदगी में निर्णय लेना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाएगा।
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हाईकोर्ट का फैसला | कोर्ट में नकली कॉपी मान्य नहीं | Bilaspur High Court
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