तलाक के बाद पति-पत्नी का संबंध खत्म , महिला नहीं रह सकती ससुराल

पत्नी ने ससुराल में अलग कमरे की व्यवस्था न मिलने पर अवमानना याचिका दायर की थी। कोर्ट ने पाया कि तलाक के बाद पति-पत्नी का एक ही घर में साथ रहना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है।

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Marut raj
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High Court decision that a woman cannot live in her in laws house after divorce the sootr
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रायपुर. तलाक होने के बाद महिला ससुराल में नहीं रह सकती है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह फैसले दिया है। कोर्ट ने सिंगल बेंच की ओर से जारी किए गए अवमानना आदेश को भी रद्द कर दिया है।

दरअसल, शैलेश जैकब और मल्लिका बल का तलाक हो गया है। इसमें पत्नी मल्लिका ने ससुराल में अलग कमरे की व्यवस्था न मिलने पर अवमानना की याचिका दायर की थी। इसी केस में हाईकोर्ट की डबल बैंच ने फैसला दिया है।

मां, भाई और बहन पर लगाया था घरेलू हिंसा का आरोप

बिलासपुर के जरहाभाटा में रहने वाले शैलेश जैकब और मल्लिका बल के बीच शादी के कुछ समय बाद ही मतभेद हो गया था। मल्लिका ने शैलेश की मां, भाई और बहन पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रेट अदालत में आवेदन किया था।

यह आवेदन खारिज हो गया था। इसके बाद मल्लिका की ओर से सेशन कोर्ट में भी अपील की गई। सेशन कोर्ट में भी आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। आखिरकार मल्लिका बल ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन याचिका दाखिल की थी। इस सब के दौरान शैलेश की मां का निधन हो गया और पति- पत्नी का तलाक भी हो गया।

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इस बीच हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मल्लिका बल की अपील पर सुनवाई करते हुए पति और परिवार के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए। कोर्ट ने पत्नी को ससुराल में अलग कमरा देने का निर्देश दिया था। पति की ओर से अलग कमरे की व्यवस्था नहीं की गई, तो मल्लिका ने अवमानना याचिका दायर की

इस पर हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया था। इस नोटिस को शैलेश जैकब ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू और जस्टिस रजनी दुबे ने केस की सुनवाई की।

कोर्ट ने पाया कि तलाक के बाद दोनों का एक ही घर में साथ रहना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। इसके साथ ही पति ने बताया था कि वह जिस मकान में रह रहे हैं, वह क्रिश्चियन मिशन की प्रॉपर्टी है।

शैलेष ने एक किराए के मकान में अलग कमरा देने की भी पेशकश कोर्ट के सामने की थी। कोर्ट ने यह मानते हुए कि आदेश की अवमानना नहीं हुई है, याचिका को खारिज कर दिया।

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