/sootr/media/media_files/2025/05/13/AyPwiaGGATE5roOhNZgT.jpg)
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले के लिब्रा घाट पर अवैध रेत खनन रोकने गई वन और पुलिस की संयुक्त टीम पर हुए बर्बर हमले के मामले में हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया है और स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। इस हमले में आरक्षक शिवभजन सिंह की मौत हो गई। वह माफियाओं द्वारा ट्रैक्टर से कुचले गए थे।
ये खबर भी पढ़ें... CBSE 10th Board Result 2025: 10वीं का रिजल्ट जारी, ऐसे देखें मार्कशीट
ऐसे हुआ हमला
मामला बलरामपुर के लिब्रा नदी घाट का है। अवैध रेत खनन और नदी किनारे अतिक्रमण की शिकायतों के बाद पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम मौके पर निरीक्षण करने पहुंची थी। टीम को देखते ही झारखंड से आए खनन माफियाओं ने हमला कर दिया। माफियाओं ने टीम पर पत्थरबाजी की और फिर ट्रैक्टर से आरक्षक शिवभजन सिंह को कुचल दिया, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
घटना के बाद पूरे विभाग और क्षेत्र में आक्रोश फैल गया। आईजी दीपक झा और एसपी वैभव बैंकर तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
ये खबर भी पढ़ें... व्यापम के बदले नियम... अब फॉर्म भरते समय इन बातों का रखना होगा ध्यान
हाईकोर्ट का संज्ञान
घटना को देखते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत ने इस संवेदनशील मामले को अवकाशकालीन पीठ के समक्ष लाया और खनिज विभाग एवं वन विभाग के सचिवों को नोटिस जारी किया है।
अदालत ने स्पष्ट रूप से पूछा है कि इतनी संवेदनशील जानकारी के बावजूद माफियाओं पर पहले से कार्रवाई क्यों नहीं की गई और पुलिस टीम बिना पर्याप्त सुरक्षा के क्यों भेजी गई? मामले की अगली सुनवाई 9 जून 2025 को होगी।
थाना प्रभारी सस्पेंड
घटना के बाद आईजी दीपक झा ने बड़ी कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी दिव्यकांत पांडेय को निलंबित कर दिया है। निलंबन आदेश में कहा गया है कि "थाना प्रभारी ने वरिष्ठ अधिकारियों को बिना सूचना दिए, आधी रात को अपर्याप्त बल के साथ टीम भेजी, जिससे इतनी बड़ी घटना घट गई। यह एक गंभीर लापरवाही है।"
ये खबर भी पढ़ें... 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विवादित पोस्ट करने वाली लूजिना गिरफ्तार
न्याय की माँग और शहीद को श्रद्धांजलि
स्थानीय लोगों और पुलिस महकमे में शोक की लहर है। आरक्षक शिवभजन सिंह को शहीद का दर्जा देने और उनके परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक मुआवजा घोषणा नहीं की गई है, पर मुख्यमंत्री कार्यालय इस पर विचार कर रहा है।
बलरामपुर की यह घटना न केवल एक पुलिसकर्मी की शहादत है, बल्कि सिस्टम की लापरवाही और माफिया नेटवर्क की हिम्मत का काला चेहरा भी है। अब निगाहें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई और सरकार की जवाबदेही पर टिकी हैं।
High Court strict | CG High Court | constable | notice | Forest Department | chattisgarh | पुलिस कांस्टेबल | हाईकोर्ट सख्त | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट | छत्तीसगढ़