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Photograph: (the sootr)
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिलासपुर नगर निगम को 22 अनुकंपा नियुक्ति कर्मचारियों को उनकी सेवा शर्तों के अनुसार वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिनकी नियुक्ति पिछले वर्ष अचानक रद्द कर दी गई थी और वे महीनों से वेतन से वंचित थे।
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की पीठ ने इस मामले में राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस बात पर कड़ा रुख अपनाया कि यह अनुकंपा नियुक्ति का संवेदनशील मामला पिछले पांच सालों से क्यों लंबित है।
कोर्ट ने नगर निगम को स्पष्ट आदेश दिया है कि याचिकाकर्ताओं को बिना किसी बाधा के उनकी सेवा शर्तों के अनुसार वर्तमान तिथि तक उनके वेतन का भुगतान तुरंत किया जाए।
यह है पूरा मामला: नियुक्ति रद्द और विरोध याचिका
यह पूरा मामला बिलासपुर नगर निगम में कार्यरत 22 चतुर्थ श्रेणी (प्यून) कर्मचारियों की अनुकंपा नियुक्ति को रद्द किए जाने से संबंधित है। इन सभी कर्मचारियों की नियुक्ति 13 सितंबर को अचानक निरस्त कर दी गई थी। गौरतलब है कि इन कर्मचारियों को 10 जनवरी को उप मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के निर्देश पर बाकायदा नियुक्ति आदेश दिए गए थे। हालांकि, नियुक्ति आदेश मिलने के बावजूद भी ये कर्मचारी अब तक प्लेसमेंट कर्मचारी के तौर पर ही कार्य कर रहे थे और उनकी सेवा शर्तें स्पष्ट नहीं थीं।
नियुक्ति आदेश जारी करते समय यह कहा गया था कि ये आदेश शासन से स्वीकृतिकी प्रत्याशा में जारी किए गए हैं। चूंकि लंबे समय तक शासन से अंतिम स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई, इसलिए नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार ने इन सभी 22 कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द करने के आदेश जारी कर दिए।
इस मनमाने आदेश के विरोध में नीलेश श्रीवास सहित अन्य 21 कर्मचारियों ने अधिवक्ता मनोज कुमार सिन्हा के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
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कर्मचारियों का पक्ष: सेवाकाल और वेतन का अभाव
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि सभी 22 कर्मचारी वर्ष 2018 से ही निगम के विभिन्न विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के तहत कार्यरत थे। उन्होंने बताया कि जनवरी में उन्हें लिखित आदेश दिए गए, लेकिन इसके बावजूद पिछले सात महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला था। इससे भी बड़ी त्रासदी यह थी कि उनकी नियुक्ति भी रद्द कर दी गई, जिससे उनका भविष्य अधर में लटक गया था।
कर्मचारियों ने अपनी याचिका में बताया कि अनुकंपा नियुक्ति के पीछे मूल उद्देश्य यह होता है कि दिवंगत कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहारा मिल सके। लेकिन इस तरह वेतन रोककर और नियुक्ति रद्द कर के निगम ने उनके परिवार को और भी बड़ी आर्थिक संकट में धकेल दिया है।
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी: पांच साल की देरी पर जवाब तलब
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की पीठ ने मामले की गंभीरता को समझते हुए राज्य शासन और जीएडी से कड़े सवाल किए हैं। कोर्ट ने जानना चाहा है कि जब अनुकंपा नियुक्ति जैसी महत्वपूर्ण योजना का क्रियान्वयन हो रहा है, तो इसमें पाँच साल की अनावश्यक देरी क्यों की गई? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही नहीं है?
अनुकंपा नियुक्ति और हाईकोर्ट के आदेश को ऐसे समझेंहाईकोर्ट का तुरंत वेतन देने का आदेश: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर नगर निगम को 22 अनुकंपा नियुक्ति कर्मचारियों को उनकी सेवा शर्तों के अनुसार वर्तमान तिथि तक वेतन [Salary] का भुगतान तुरंत और बिना किसी बाधा के करने का निर्देश दिया है। GAD को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश: जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की पीठ ने छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को इस मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह अनुकंपा नियुक्ति का संवेदनशील मामला पिछले पाँच सालों से क्यों लंबित है। नियुक्ति रद्द करने के खिलाफ याचिका: यह आदेश उन 22 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की याचिका पर आया है जिनकी नियुक्ति नगर निगम कमिश्नर ने शासन से स्वीकृति न मिलने के कारण रद्द कर दी थी, जबकि वे 2018 से कार्यरत थे। प्रशासनिक विलंब पर कोर्ट की तल्ख टिप्पणी: कोर्ट ने राज्य शासन से कड़े शब्दों में पूछा है कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में पाँच साल की देरी क्यों की गई, जो प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत: यह फैसला उन 22 अनुकंपा-कर्मियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिन्हें पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिला था और जिनकी नियुक्ति भी रद्द कर दी गई थी, जिससे उनके परिवार का भविष्य खतरे में पड़ गया था। |
G.A.D. की जिम्मेदारी: हलफनामा में क्या होगा?
कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को यह स्पष्ट करने को कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के इन मामलों में विलंब का वास्तविक कारण क्या था। जीएडी को अपने हलफनामा में यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या इन कर्मचारियों की सेवा शर्तें [Service Conditions] पूर्णतः नियमसंगत थीं, और क्या नगर निगम ने नियुक्ति रद्द करने का आदेश जारी करते समय सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया था।
यह माना जा रहा है कि जीएडी के हलफनामा में शासन की ओर से विलंब के लिए एक विस्तृत कारण और भविष्य में ऐसी प्रशासनिक चूक (Administrative Error) न हो, इसके लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख होगा। कोर्ट इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि यह सीधे तौर पर 22 परिवारों के जीवन-यापन से जुड़ा हुआ है।
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अनुकंपा-कर्मियों के लिए आगे की राह
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद, 22 अनुकंपा-कर्मियों को तत्काल प्रभाव से अपने रुके हुए वेतन का भुगतान मिलना शुरू हो जाएगा, जो उनके लिए दीपावली [Diwali] से पहले एक बड़ा तोहफा साबित हो सकता है। यह आदेश यह भी सुनिश्चित करता है कि उन्हें उनकी सेवा शर्तों के अनुसार ही वेतन दिया जाए, न कि प्लेसमेंट कर्मचारियों के तौर पर।
इसके अलावा, कोर्ट ने नियुक्ति रद्द करने के आदेश पर भी एक तरह से सवालिया निशान लगा दिया है, और जीएडी के हलफनामा के बाद ही इस बात की अंतिम तस्वीर साफ होगी कि क्या इन कर्मचारियों को स्थायी रूप से अपनी नौकरी वापस मिलेगी या नहीं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने उम्मीद जताई है कि कोर्ट के कड़े रुख के बाद नगर निगम और जीएडी दोनों ही इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाएंगे।
उच्च न्यायालय के आदेश का महत्व
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला केवल बिलासपुर नगर निगम के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य विभागों के लिए भी एक मिसाल कायम करता है, जहां अनुकंपा नियुक्ति के मामले लंबे समय से लंबित हैं। यह फैसला प्रशासनिक विलंब और मनमाने निर्णय पर एक प्रभावी रोक लगाने का काम करेगा।
यह अनुकंपा नियुक्ति के महत्व को रेखांकित करता है और सरकारी तंत्र को इस बात का संदेश देता है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनाश्यक देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। छत्तीसगढ़ की न्यायपालिका ने स्पष्ट कर दिया है कि कर्मचारियों के अधिकारों और उनके पारिवारिक हित सर्वोपरि हैं। यह फैसला न्यायपालिका पर आम जनता के विश्वास को और मजबूत करता है।
अनुकंपा नियुक्ति क्या है?
अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment)
परिभाषा: यह वह प्रक्रिया है जिसके तहत सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) में कार्यरत कर्मचारी की सेवाकाल में मृत्यु हो जाने पर उसके आश्रित परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार नौकरी दी जाती है।
उद्देश्य: इसका प्राथमिक उद्देश्य कर्मचारी की मृत्यु के बाद आश्रित परिवार को तत्काल आर्थिक सहारा और गरीबी से उबारना है।
नियम: यह नियुक्ति सरकारी नियमों के तहत एक विशेष छूट के रूप में दी जाती है, न कि सामान्य भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से।
विवाद का कारण: अक्सर नियमों की जटिलता, रिक्तियों की कमी, और प्रशासनिक विलंब के कारण अनुकंपा नियुक्ति विवादों में आ जाती है।