बस्तर में बनेगा देश का पहला ट्राइबल रिसर्च पार्क, मिलेंगे कई फायदे...
Tribal Research Park : छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अंतिम सांस गिन रहा है। केंद्र सरकार का दावा है कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
Tribal Research Park :छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अंतिम सांस गिन रहा है। केंद्र सरकार का दावा है कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। यही नहीं नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र और राज्य ने योजनाएं भी बनाना शुरू कर दिया है। इसकी पहली ईंट दंतेवाड़ा में रखी जा रही है। आदिवासियों से जुड़े स्टार्टअप पर काम करने के लिए यहां देश का पहला ट्राइक्ल प्रो. राजीव प्रकाश रिसर्च पार्क बनाया जाएगा।
इसके लिए भिलाई आईआईटी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए केंद्र और राज्य शासन के बीच अनुबंध भी हो चुका है। यह देश का पहला ट्राइबल रिसर्च पार्क होगा। आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रो. राजीव प्रकाश ने बताया कि इस पार्क की मदद से आदिवासी युवक-युवतियों को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। टेक्नोलॉजी की मदद से आदिवासियों को समस्याओं का समाधान भी निकाला जाएगा।
इंटरनेशनल टूरिज्म को बढ़ाएंगे। इससे रोजगार भी बढ़ेगा। लोग यहां आएंगे, तो खाने-पीने की चीजों से लेकर बस्तर के लोकल उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी। युवक-युवतियां गाइड बनकर कमाई कर सकेंगे।
बस्तर का 90% एरिया फारेस्ट है। 60 हजार हेक्टेयर एरिया कैमिकल फ्री है। मतलब यहां के आम, ईमली, महुआ, लाख, सल्फी, काजू, अनाज, फल, सब्जी सभी उत्पाद को विश्व बाजार में कैमिकल फ्री प्रोड्क्ट के नाम पर सीधा बेचा जा सकता है। यह बहुत बड़ी बात है। इसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करेंगे।
बस्तर के लोगों को अपने उत्पादों को बेचने, उसकी मार्केटिंग करने की कला सिखाएंगे। ताकि वे अपनी शिल्प कला, डोकरा आर्ट, कपड़े, बांस की सामग्री आदि बेच सके। विश्व आजार में सीधे ग्राहक से जुड़ सकें। और उन्हें लाभ हो। इसके लिए ऐसा एप बनाएंगे जो आदिवासियों के लिए सरल और आसान होगा।
FAQ
दंतेवाड़ा में बनने वाला भारत का पहला ट्राइबल रिसर्च पार्क किसके नाम पर होगा और इसकी जिम्मेदारी किसे सौंपी गई है?
यह रिसर्च पार्क प्रो. राजीव प्रकाश के नाम पर होगा और इसकी जिम्मेदारी आईआईटी भिलाई को सौंपी गई है।
इस ट्राइबल रिसर्च पार्क का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य आदिवासी युवाओं को स्टार्टअप, रोजगार, स्वरोजगार से जोड़ना, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, और टेक्नोलॉजी की मदद से उनकी समस्याओं का समाधान निकालना है।
इस रिसर्च पार्क से बस्तर क्षेत्र को कौन-कौन से फायदे होंगे?
इंटरनेशनल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा जिससे स्थानीय रोजगार उत्पन्न होगा। वन उत्पादों जैसे महुआ, लाख, इमली आदि की कैमिकल फ्री ब्रांडिंग और विश्व बाजार में बिक्री की जाएगी। आदिवासियों को व्यवसाय और मार्केटिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वे सीधे ग्राहकों से जुड़ सकें। डोकरा आर्ट, बांस शिल्प और अन्य उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी। एक यूजर-फ्रेंडली ऐप बनाया जाएगा जिससे आदिवासी समुदाय डिजिटल रूप से भी सशक्त बनेंगे।