शिवशंकर सारथी, RAIPUR. राम अवतार जग्गी हत्याकांड ( Jaggi murder case ) में 21 सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले सतीश जग्गी आज दोपहर तीन बजे पंकज सिन्हा ADJ की अदालत पहुंचे। यहां उन्होंने मौजूद मीडिया के लोगों से बात की। सतीश जग्गी के अनुसार 27 आरोपियों ( 27 accused ) के खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं, इनमें से एक भी आरोपी ने सरेंडर नहीं किया है। सरेंडर करने के लिए शाम पांच बजे तक का समय है, यदि तय समय तक आरोपी सरेंडर नहीं करते हैं तो अदालत का क्या रुख रहता है। यह देखना होगा।
अमित जोगी पर है हत्या के षड़यंत्र रचने का आरोप
गौरतलब है कि राम अवतार जग्गी की हत्या 4 जून 2003 को महज इसीलिए कर दी गई थी कि वो एनसीपी छोड़कर कांग्रेस में नहीं आ रहे थे। तब छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे। उनके बेटे अमित जोगी पर हत्या का षड़यंत्र रचने का आरोप है। इस आरोप में अमित जोगी लम्बे समय तक रायपुर सेन्ट्रल जेल में कैद रहे हैं।
सतीश जग्गी ने कहा सुप्रीम कोर्ट से मैंने ही स्टे लिया था
आज मुख्य षड़यंत्रकर्ता अमित जोगी को लेकर भी सवाल किया गया। इसके जवाब में सतीश जग्गी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से मैंने ही स्टे लिया था। अब जब विशेष अदालत में दोषी सिद्ध हो चुके आरोपियों की सजा में माननीय बिलासपुर हाईकोर्ट ने कोई फेरबदल नहीं किया है। तब मैं अब सुप्रीम कोर्ट जाकर अपने स्टे को वैकेंट करवाऊंगा।
पुलिस ने दबाव में आकर फर्जी आरोपी पेश किए
उधर, जग्गी हत्याकांड में शामिल और सुबूतों में छेड़छाड़ करने वाले आरोपियों के दो गुटों के पांच लोगों ने सरेंडर करने में कुछ दिनों की मोहलत ले ली है। मोहलत पाने वाले पहले गुट में शामिल नाम हैं अमरीक सिंह गिल वीके पाण्डेय और सीके त्रिवेदी तीनों ही पुलिस अधिकारी रहे हैं। दूसरे गुट के दो नाम हैं याहया ढेबर और सूर्यकान्त तिवारी। याहया ढेबर और सूर्यकान्त पर हत्या में शामिल रहने का आरोप है तो दूसरी ओर पुलिस अधिकारियों पर यह आरोप सिद्ध हुआ है कि राजनीतिक दबाव में आकर उन्होंने फर्जी आरोपी पेश किए और हत्या के सुबूतों को मिटा दिया। हत्या के तुरंत बाद पहली जांच छत्तीसगढ़ पुलिस ने की थी। बाद में राज्य सरकार की लिखी चिट्ठी के आधार पर सीबीआई ने जांच की और आरोपियों को सजा तक दिलवाई थी।