Raipur : कांग्रेस के कुनबे में एक बार फिर कलह छिड़ गई। बंद कमरे की बैठक में ये कलह हुई जिससे दरवाजे के बाहर आवाज नहीं आ पाई। ये कलह दो सीनियर नेताओं में हुई। इस कलह की वजह था एक अदद केबिन। यह केबिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में चाहिए था। नेता प्रतिपक्ष के करीबी नेता ने भरी मीटिंग में यह मांग उठा दी। लेकिन दूसरे सीनियर नेताओं को ये मांग नगवार गुजरी। दूसरे सीनियर नेताओं ने इसका विरोध कर दिया। नेता इतने सीनियर थे कि पीसीसी चीफ कुछ नहीं बोल पाए। उनके सामने ही इन नेताओं में भिडंत हो गई।
जेएस और बघेल में टकराव
10 जुलाई को कांग्रेस के नेता बैठे तो थे निकाय और पंचायत चुनाव लड़ने का रोडमैप बनाने लेकिन आपस में ही लड़ लिए। सीनियर नेताओं की बैठक में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के करीबी पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने प्रस्ताव रख दिया कि नेता प्रतिपक्ष को राजीव भवन में एक कक्ष दिया जाए। उनका तर्क था कि नेता प्रतिपक्ष अगर समय-समय पर यहां आकर बैठेंगे तो समन्वय से काम हो सकेगा। कार्यकर्ताओं को भी मिलने में सहूलियत रहेगी।
इस प्रस्ताव पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी असहमति जता दी। भूपेश ने कहा कि कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को कमरा देने की परंपरा नहीं रही है। इस पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने याद दिलाया कि पुराने भवन और राजीव भवन में भी पहले कमरा था, लेकिन बाद में इसे किसी और को दे दिया गया। जब पीसीसी चीफ भूपेश बघेल थे तब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव को पीसीसी में भूपेश ने ही कक्ष आवंटित किया था। सीनियर नेताओं के बीच तीखी बहस हो गई। बात इतनी बढ़ी कि खुद नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले में हस्तक्षेप कर बात को खत्म किया।
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इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा
बैठक में बलौदाबाजार मामले पर डहरिया कमेटी की जांच रिपोर्ट और गुरू रूद्रकुमार के सामाजिक जांच रिपोर्ट पर भी मंथन का दौर चला। इसके अलावा नगरीय निकाय और उपचुनाव को लेकर भी सीनियर नेताओं ने मंथन किया। सीनियर नेताओं की इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज, वरिष्ठ नेता धनेन्द्र साहू, पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर, डॉ. शिव डहरिया, ताम्रध्वज साहू, जयसिंह अग्रवाल, उमेश पटेल, रूद्र गुरू, राजेन्द्र तिवारी, सांसद ज्योत्सना महंत समेत सभी सीनियर लीडर्स मौजूद रहे।
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