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हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को कवर्धा सड़क हादसे मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट में सड़क निर्माण, स्पीड लिमिट और निगरानी को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए। इस हादसे के बाद कवर्धा कलेक्टर ही नहीं, बल्कि एसपी और आरटीओ को भी अदालत ने नोटिस जारी कर तलब कर लिया। यह भी पूछा गया है कि रोड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक मृतकों के परिजन को मुआवजा दिया गया है या नहीं। साथ ही राज्य शासन की कई एजेंसियों और नेशनल हाईवे के अफसरों को भी नोटिस भेजा गया है। कोर्ट ने सभी 10 पक्षकारों से इस मामले में शपथपत्र मांगे हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी।
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चीफ जस्टिस सिन्हा तथा जस्टिस साहू की डिवीजन बेंच के समक्ष इस मामले की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत, अतिरिक्त महाधिवक्ता राजकुमार गुप्ता, केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा और नेशनल हाईवे की ओर से अधिवक्ता धीरज वानखेड़े उपस्थित थे। इसके अलावा जिन अफसरों को तलब किया गया, उनमें से भी अधिकांश सुनवाई के दौरान बैठे थे। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सिन्हा ने सड़कों की स्थिति और निगरानी के सिस्टम को लेकर चिंता जताई। कवर्धा में कुकदूर के पास जिस सड़क पर हादसा हुआ, उसकी स्थिति और स्पीड लिमिट की निगरानी के बारे में जवाब-तलब किए। डिवीजन बेंच ने सभी जिम्मेदार एजेंसियों को शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं।
हादसे में 19 लोगों की गई थी जान
तेंदूपत्ता संग्राहकों के एक समूह को ले जा रहा पिकअप वैन सोमवार दोपहर घाटी से नीचे गिर गया था। इस घटना में 15 महिलाओं और तीन नाबालिग लड़कियों सहित 19 आदिवासियों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। मृतकों में से 17 सेमरहा गांव के निवासी थे तथा दो अन्य आसपास के गांवों के थे।