/sootr/media/media_files/2025/05/06/xrdohbx2JfdMyWFHZyGk.jpg)
रायपुर-दुर्ग मार्ग पर अटारी के पास नंदनवन का बड़ा सा बोर्ड देखकर कुछ पर्यटक घुमने पहु्ंच गए। टिकट लेकर अंदर गए तो उन्हें वहां पक्षी और हिरण के अलावा कोई अन्य वन्य जीव नहीं दिखाई दिए। कर्मचारियों से पूछा गया कि स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां कई प्रकार के पशु हैं तो उन्होंने कहा कि साल 2016-17 में सभी वन्यजीवों को जंगल सफारी शिफ्ट कर दिया गया था। अब यहां वहीं हैं, जो आप देख रहे हैं। शाम हो गई थी, अचानक 2 कर्मचारी मटन लेकर नंदन वन के पीछे जाते दिखाई दिए। वहां के एक कर्मचारी से पूछा गया तो उसने बताया कि उसने देखा तो नहीं है, लेकिन सुना है कि पीछे के कुछ तेंदूए और लकड़बग्घे पिंजरे में बंद हैं। यह खाना उन्हीं के लिए लेकर जा रहे हैं।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ के स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, रायपुर में की गई लॉटरी
पर्यटकों की पूछताछ से खुलासा
पर्यटकों की उत्सुकता जागी। शायद वे तेंदूए और लकड़बग्घे को देखना चाहते थे। नंदन के कुछ कर्मचारियों और स्थानीय लोगों से बातचीत की तो नया खुलासा हुआ। उनलोगों ने बताया कि जब सभी वन्यजीवों को जंगल सफारी शिफ्ट किया जा रहा था, तब चार तेंदूए और एक लकड़बग्घे बीमार थे। पांचों का इलाज चल रहा था, इसलिए उन्हें यहीं पशु चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया। बातचीत आगे बढ़ी तो पता चला कि चार तेंदूए और एक लकड़बग्घे को 10x10 के पिंजरे में कैद करके रखा गया है। पिंजरे के दरवाजे को जंजीर से बांधकर रखा गया है और उस पर चार ताले लगाए गए हैं। यह पिंजरा चारों ओर से दीवार से बनाया गया है। इसमें एक रोशनदान की व्यवस्था की गई है, जबकि लोहे की ग्रिल से बना एक दरवाजा हैं। साथ ही नंदनवन के उस परिसर के पास प्रतिबंधित क्षेत्र का बोर्ड लगा दिया गया है। कर्मचारी केवल खाना देने जाते हैं। इसके बाद ताला जड़ दिया जाता है।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ के स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, रायपुर में की गई लॉटरी
अतिरिक्त बाड़ा नहीं होना है कैद का कारण
जंगलों में स्वछंद विचरण करते पशु-पक्षियों को देखने के लिए लोग अक्सर अभयारण्य जाते हैं। अगर वहां पशु-पक्षी नहीं दिखते हैं तो लोगों को निराशा हाथ लगती है। वन विभाग ने इंसान को जानवर दिखाने के लिए चिड़ियाघर बनवाया। यहां वन्य जीवों को बाड़े में रखा गया, ताकि उनको वन में ही होने का अहसास हो और इंसान जंगली जीवों को देख सके। वन्य जीवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग की है। मगर, जब वन विभाग ही किसी पशु को आठ साल से पिजरें में कैद करके रखे हुए तो किसी दोष दिया जाए? इन पशुओं का कसूर यह है कि अतिरिक्त बाड़ा नहीं है, जहां इनको रखा जाए। वन विभाग ने चार तेंदूए और एक लकड़बग्घे को रहवास का इंतजाम करने की जगह पिंजरे में बंद करके रखा है। वह भी कोई एक या दो महीने से नहीं, बल्कि पिछले आठ से बंद हैं। इतना ही नहीं जहां इनके पिंजरे हैं, वहां इनको न धूप मयस्सर है और न बरसात का पानी और न ही मिट्टी। अब शायद इनको निकाल भी दिया जाए तो अपनी मूल प्रकृति भूल चुके होंगे।
ये खबर भी पढ़ें... तेज रफ्तार बाइक ने MLA की बेटी को मारी टक्कर, हालत गंभीर
आठ साल में एक दिन भी बाहर नहीं निकाला
देश में संभवतया यह पहला मामला है। पिछले आठ साल में एक दिन भी इन्हें बाहर नहीं निकाला गया। कभी-कभार जांच के लिए डॉक्टर या अफसर जाते हैं। इनके अलावा खाना देने वाले 2 वनकर्मियों को ही जाने की इजाजत है। इन पांच जीवों को जंगल सफारी नहीं भेजने के पीछे अफसरों का तर्क है कि बीमार थे। मगर, जब उनसे यह जानने का प्रयास किया कि ये बीमार थे तो जंगल सफारी के रेस्क्यू सेंटर में रखकर भी इनका इलाज किया जा सकता था। इस पर अफसर कहते हैं कि वहां बाड़ा नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पांच बाड़ा बनाने में क्या 8 साल लग जाते हैं? तेंदुआ और लकड़बग्घा वन में विचरण करने वाले जीव हैं।
ये खबर भी पढ़ें... करोड़ों के घोटाले का लगा दिया आराेप, पर ED के पास सबूत नहीं...
नंदनवन में सिर्फ पक्षी ही बचे
नंदनवन चिड़ियाघर अटारी रायपुर को वन्यजीवों को एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी, नवा रायपुर में शिफ्ट कर दिया गया था। अब नंदनवन में सिर्फ पक्षी ही बचे हैं। दरअसल, नंदनवन को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सेंट्रल जू अथॉरिटी ने चिड़ियाघर के रूप में मान्यता नहीं दी। इसके बावजूद नियमों को दरकिनार कर विभाग ने उनको कैद करके रखा है।
सेल बनाने का काम हो चुका है पूरा
नंदनवन जंगल सफारी एवं नंदनवन चिड़ियाघर के डायरेक्टर धम्मशील गढ़वीर ने यहां कैद करके रखे गए चार तेंदूए और एक लकड़बग्घा के सवाल पर कहा कि उस समय जंगल सफारी में सेल नहीं बन पाने के कारण उस समय शिफ्टिंग नहीं किया जा सका था। अब सेल बन चुका है, इसलिए सीजेडए की गाइडलाइन अनुसार शीघ्र शिफ्टिंग कर दी जाएगी। अब ये सफारी में रेस्क्यू सेंटर में रहेंगे। बिल्कुल, ये खुले क्षेत्र में विचरण कर पाएंगे।
Nandanvan Jungle Safari | Leopard | chhattisgarh Hyenas | imprisoned | Raipur | छत्तीसगढ़ लकड़बग्घा