रायपुर. छत्तीसगढ़ आदिवासी प्रदेश है लेकिन यहां के आदिवासी कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि मलेरिया का मच्छर आदिवासियों को सबसे ज्यादा डंक मार रहा है। स्वास्थ्य महकमे ने अपनी छमाही रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बस्तर के आंकड़ों को खासतौर पर बताया गया है।
प्रदेश में मलेरिया के कुल मामलों में 62 फीसदी मामले बस्तर के शामिल होते हैं। बस्तर के लोग मलेरिया से परेशान हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों से मलेरिया उन्मूलन का कार्यक्रम चल रहा है। सरकार कहती है कि आदिवासियों में मलेरिया के मामलों में पचास फीसदी तक गिरावट आई है।
स्वास्थ्य विभाग की छमाही रिपोर्ट
स्वास्थ्य विभाग ने 2024 की पहली छमाही में मलेरिया के मामलों की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बस्तर जिले में 1660 केस, बीजापुर में 4441, दंतेवाड़ा में 1640, कांकेर में 259, कोंडागांव जिले में 701, नारायणपुर जिले में 1509 और सुकमा में 1144 केस दर्ज किए गए हैं।
इस प्रकार, स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों में मलेरिया के मामलों की निगरानी बढ़ाने और इलाज की सुविधाएं बेहतर करने की कवायद शुरु की है। छत्तीसगढ़ के मलेरिया के कुल मामलों में से 61.99 फीसदी दंतेवाड़ा, बीजापुर, और नारायणपुर से आते हैं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई है। बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है।
मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक दर के अनुसार, 2018 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया की दर 2.63 फीसदी थी जो 2023 में घटकर 0.99 फीसदी रह गई है। इसी तरह बस्तर में यह दर 16.49 फीसदी से घटकर 7.78 फीसदी रह गई है।
सर्दी,खासी न, मलेरिया हुआ
मलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 2020 से 2023 के दौरान, पहले से नौंवे चरण तक मलेरिया दर 4.60 फीसदी से घटकर 0.51 फीसदी हो चुकी है। इस अभियान का दसवां चरण भी 5 जुलाई 2024 को समाप्त हुआ है। इस अभियान के तहत राज्य में 22 जिलों में 16.97 लाख कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का वितरण भी किया गया है। राज्य सरकार ने जनता से अपील की है कि मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और समय पर इलाज करवाएं।