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छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारी सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। 16,000 से अधिक कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान न केवल नियमित स्वास्थ्य सेवाएं, बल्कि आपातकालीन सेवाएं, जैसे स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट भी पूरी तरह बंद रहेंगी। कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के उदासीन रवैये से नाराजगी के चलते यह कदम उठाया जा रहा है। इस हड़ताल से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है, जिससे मरीजों, खासकर गंभीर हालत वाले रोगियों, को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
कर्मचारियों का स्थायीकरण और वेतन वृद्धि पर जोर
NHM कर्मचारी संघ ने अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से सरकार के साथ बातचीत की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने से कर्मचारी हड़ताल पर उतर आए हैं। उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं।
संविलियन/स्थायीकरण : NHM कर्मचारियों को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना : स्वास्थ्य सेवाओं में विशेष कैडर बनाकर कर्मचारियों को उचित मान्यता दी जाए।
ग्रेड पे निर्धारण : कर्मचारियों के लिए स्पष्ट ग्रेड पे संरचना लागू की जाए।
लंबित 27% वेतन वृद्धि : लंबे समय से रुकी हुई वेतन वृद्धि को तत्काल लागू किया जाए।
कार्य मूल्यांकन में पारदर्शिता : कर्मचारियों के प्रदर्शन मूल्यांकन में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
अनुकंपा नियुक्ति : कर्मचारियों के परिवारों के लिए अनुकंपा नियुक्ति की नीति लागू हो।
न्यूनतम 10 लाख कैशलेस बीमा : कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए कैशलेस बीमा योजना शुरू की जाए।
अन्य मांगें : कार्यस्थल पर बेहतर सुविधाएं, नियमित प्रशिक्षण, और कार्यभार में संतुलन जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।
NHM कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी और महासचिव कौशलेश तिवारी ने संयुक्त बयान में कहा, “हमने सरकार को बार-बार अपनी मांगों से अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”
आपातकालीन सेवाएं भी बंद
हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह बंद रहेंगी। इसके अलावा, सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं, जैसे ओपीडी, टीकाकरण, और नियमित चिकित्सा सुविधाएं भी प्रभावित होंगी।कर्मचारी संगठन ने सभी जिला कलेक्टरों, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO), और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसरों (BMO) को हड़ताल की सूचना पहले ही दे दी है। इस हड़ताल से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों जैसे बस्तर और सरगुजा में, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से ही सीमित हैं, स्थिति और गंभीर हो सकती है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर, मरीजों के लिए चुनौती
छत्तीसगढ़ में NHM कर्मचारी स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाते हैं। ये कर्मचारी ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, और जिला अस्पतालों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 16,000 से अधिक कर्मचारियों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ने, उपचार में देरी, और गंभीर रोगियों के लिए जोखिम बढ़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि आपातकालीन सेवाओं के बंद होने से गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
सरकार की चुप्पी, बढ़ता तनाव
NHM कर्मचारियों की हड़ताल की घोषणा के बावजूद, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या वार्ता की पहल नहीं दिखी है। कर्मचारी संगठन का कहना है कि सरकार की अनदेखी ने उन्हें यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया है। दूसरी ओर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और मरीजों को परेशानी से बचाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था कितनी प्रभावी होगी, यह सवाल बना हुआ है।
पिछले अनुभव और संभावित प्रभाव
छत्तीसगढ़ में पहले भी NHM कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर हड़तालें की हैं, लेकिन इस बार आपातकालीन सेवाओं को भी बंद करने का फैसला अभूतपूर्व है। इससे पहले, 2023 में NHM कर्मचारियों ने 7 दिनों की हड़ताल की थी, जिसके बाद सरकार ने कुछ मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि उन आश्वासनों पर कोई अमल नहीं हुआ, जिसके चलते अब वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं।
सरकार-कर्मचारियों के बीच वार्ता ही रास्ता
सरकार और कर्मचारियों के बीच वार्ता : सरकार को तत्काल कर्मचारी संगठन के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए ताकि हड़ताल को रोका जा सके और मरीजों को परेशानी न हो।
वैकल्पिक व्यवस्था : स्वास्थ्य विभाग को निजी अस्पतालों और अन्य राज्यों के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ समन्वय कर आपातकालीन सेवाओं को चालू रखने की योजना बनानी चाहिए।
मांगों पर त्वरित कार्रवाई : स्थायीकरण और वेतन वृद्धि जैसे प्रमुख मुद्दों पर ठोस नीति बनाकर कर्मचारियों का भरोसा जीता जा सकता है।
मरीजों के लिए जागरूकता : जनता को हड़ताल के प्रभाव और वैकल्पिक स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में समय रहते सूचित किया जाए।
सियासी प्रतिक्रिया की संभावना
NHM कर्मचारियों की हड़ताल और स्वास्थ्य सेवाओं पर इसके असर से सियासी तनाव भी बढ़ सकता है। विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, इस मुद्दे को उठाकर बीजेपी सरकार पर स्वास्थ्य सेवाओं में विफलता का आरोप लगा सकता है। साथ ही, आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के ठप होने से सरकार की छवि पर भी असर पड़ सकता है।छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए यह हड़ताल एक बड़ा संकट बन सकती है। सरकार और कर्मचारी संगठन के बीच जल्द से जल्द संवाद स्थापित करना अब समय की मांग है, ताकि मरीजों को होने वाली परेशानी को कम किया जा सके।
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