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राजस्व विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके प्रसाद ने राजस्व विभाग में सीधी भर्ती के तहत नौकरी प्राप्त करने वाले आरआइ राजस्व निरीक्षक और पटवारी से पदोन्त होकर आरआइ बनने वाले कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची अलग-अलग बनाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। अलग-अलग वरिष्ठता सूची की मांग करते हुए हितेश कुमार एवं 35 अन्य राजस्व निरीक्षकों ने अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सीधी भर्ती और पदोन्नति से राजस्व निरीक्षक के पद पर भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए अलग-अलग वरिष्ठता सूची बनाने के निर्देश दिए हैं। सिंगल बेंच ने माना कि सीधी भर्ती और पदोन्नत राजस्व निरीक्षक वास्तव में दो अलग-अलग धाराएं हैं। इसलिए उनकी वरिष्ठता सूची भी अलग-अलग बनाई जानी चाहिए ताकि शिक्षा, योग्यता और भर्ती की पद्धति के अनुसार न्याय सुनिश्चित हो सके।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कृषि विभाग ने पहले ही इस समस्या का समाधान दो अलग-अलग वरिष्ठता सूची बनाकर किया है और राजस्व विभाग में भी इस माडल को अपनाया जा सकता है। हितेश कुमार वर्मा एवं 35 अन्य का कहना था कि वे 2016 के विज्ञापन के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए और सफल रहे। दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया के बाद पांच जनवरी 2019 को राजस्व निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए।
छत्तीसगढ़ भू-अभिलेख वर्ग-तीन अशासी (कार्यपालिका एवं तकनीकी) सेवा भर्ती नियम, 2014 में यह व्यवस्था है कि 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से और 75 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाने हैं। इस व्यवस्था के तहत से 70 प्रतिशत पटवारियों और पांच प्रतिशत ट्रेसरों के लिए आरक्षित रखा गया है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि सीधी भर्ती वाले उम्मीदवारों के लिए स्नातक की योग्यता अनिवार्य है। आरआइ के पद पर पदोन्नत होने वाले पटवारी केवल 12वीं पास होते हैं।
12 वीं पास पटवारी बन जाते हैं नायब तहसीलदार, डिग्रीधारी पीछे
याचिकाकर्ताओं की सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर थी कि दोनों धाराओं को एक ही वरिष्ठता सूची में रखा जाता है, जिससे कम शैक्षणिक योग्यता वाले पदोन्नत पटवारी सीधी भर्ती वाले स्नातक निरीक्षकों से ऊपर आ जाते हैं। इसका असर यह होता है कि पदोन्नति के अवसर, जैसे कि सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख और नायब तहसीलदार जैसे उच्च पद, पदोन्नत होने वाले पटवारियों को मिल जाते हैं, जबकि सीधी भर्ती वाले डिग्रीधारी राजस्व निरीक्षक पीछे रह जाते हैं।
राज्य सरकार ने कहा, हमें कोई आपत्ति नहीं
राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाअधिवक्ता कार्यलाय के ला अफसर ने अदालत को आश्वस्त किया कि सरकार को इस मुद्दे पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि सक्षम प्राधिकारी नियमों और सेवा विनियमों के अनुसार याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर विचार करेंगे और उचित निर्णय देंगे।
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