/sootr/media/media_files/2025/07/25/online-betting-case-reaches-supreme-court-the-sootr-2025-07-25-10-30-23.jpg)
छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी, खासकर महादेव सट्टा एप के खिलाफ दायर जनहित याचिका अब देश की सर्वोच्च अदालत में सुनी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लंबित इस याचिका को अन्य समान मामलों के साथ जोड़ते हुए अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। इस फैसले के बाद अब ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ कार्रवाई का मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रीम कोर्ट के दायरे में आ गया है, जिससे छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में इस अवैध गतिविधि पर प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद जगी है।
महादेव सट्टा एप और बढ़ता अपराध
पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी ने गंभीर रूप ले लिया है। विशेष रूप से महादेव सट्टा एप को लेकर आपराधिक और राजनीतिक विवाद लगातार सुर्खियों में रहे हैं। जनहित याचिका में दावा किया गया कि ये ऑनलाइन सट्टा एप्स छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध अधिनियम 2022 का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि इन एप्स के जरिए करोड़ों रुपये का सट्टा न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में संचालित हो रहा है। इसकी चपेट में कई लोग आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं, और सामाजिक-नैतिक पतन भी बढ़ रहा है। फिर भी, प्रशासन की ओर से न तो इन एप्स पर प्रतिबंध लग पाया है और न ही संचालकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई हुई है।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, आपराधिक मामले के साथ विभागीय जांच पर रोक
हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), और गृह सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ऑनलाइन सट्टा एप्स प्रदेश में आर्थिक, सामाजिक और नैतिक क्षरण का कारण बन रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
इस बीच, देश के अन्य राज्यों में भी ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित मामलों को एक साथ लेते हुए छत्तीसगढ़ की याचिका को भी अपने पास ट्रांसफर कर लिया। अब यह मामला शीर्ष अदालत में अन्य समान याचिकाओं के साथ सुना जाएगा।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?
ऑनलाइन सट्टेबाजी का यह मामला केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में एक गंभीर चुनौती बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई न केवल महादेव सट्टा एप जैसे प्लेटफार्मों पर लगाम लगाने की दिशा तय करेगी, बल्कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह सुनवाई ऑनलाइन सट्टे के संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और प्रभावी कानून लागू करने की मांग को बल देगी।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
ऑनलाइन सट्टा एप्स ने न केवल व्यक्तियों को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर किया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये एप्स युवाओं को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं और अवैध धन के लेन-देन को बढ़ावा दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा एप जैसे प्लेटफार्मों के खिलाफ कार्रवाई की कमी ने स्थानीय स्तर पर असंतोष को जन्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम अब इस दिशा में एक निर्णायक मोड़ ला सकता है।
समान नीति और कार्रवाई की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई से ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक समान नीति और कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। यह फैसला न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में ऑनलाइन सट्टे के दुष्प्रभावों को रोकने और अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है और मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाएं।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
Tags : महादेव सट्टा ऐप | ऑनलाइन सट्टेबाजी छत्तीसगढ़ | छत्तीसगढ़ सट्टा | हवाला व्यापारी महादेव ऐप