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छत्तीसगढ़ के कई शहरों में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों खिलाफ पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच के दौरान पता चला कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी फर्जी भारतीय दस्तावेजों के आधार पर वर्षों से राज्य के विभिन्न हिस्सों में रह रहे थे। इन लोगों को स्थानीय स्तर पर राजनीतिक संरक्षण मिलने की भी बात सामने आ रही है। पुलिस राज्य भर से पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों को खोज-खोज कर निकाल रही है।
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केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद पुलिस ने बिलासपुर में 300 से अधिक ऐसे अवैध लोगों की पहचान की। अब तक 50 से अधिक लोगों को वापस भेजा जा चुका है। अभी भी मोहल्लों का दौरा कर दस्तावेजों की जांच की जा रही है। ये लोग न केवल किराये के मकानों में रह रहे थे, बल्कि कुछ ने स्थानीय एजेंटों और कथित नेताओं की मदद से प्रॉपर्टी डीलिंग, प्लॉटिंग और जमीन खरीद-बिक्री जैसे काम भी शुरू कर दिए थे।
किन क्षेत्रों में सक्रिय था नेटवर्क
अवैध रूप से रहे पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों का नेटवर्क रायपुर, दुर्ग, भिलाई, भाटापारा, तिल्दा-नेवरा, कवर्धा, बेमेतरा, बिरगांव, खरोरा, अमलेश्वर, सिलतरा और भाटागांव जैसे क्षेत्रों में फैला था। यहां किराये के मकानों और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान हुई है।
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फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल
इन लोगों के पास से आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड सहित कई भारतीय दस्तावेज़ बरामद हुए हैं। जांच में पाया गया कि इन दस्तावेजों को दलालों और कुछ स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ताओं की मदद से बनवाया गया था।
राजनीतिक संरक्षण की जांच
पुलिस की जांच में पता चला कि कुछ छुटभैये नेताओं ने इन अवैध लोगों को न केवल ठिकाने उपलब्ध कराए, बल्कि दस्तावेज़ बनवाने और अवैध संपत्ति लेन-देन में भी मदद की। अब इन नेताओं की भूमिका की जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि पुलिस की कार्रवाई शुरू होते ही ऐसे कई संदिग्ध नेता भूमिगत हो गए हैं।
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पुलिस की कार्रवाई
राज्य भर में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। प्रत्येक जिले में विशेष टीमें बनाई गई हैं जो मकानों, बस्तियों और किरायेदारों के दस्तावेजों की जांच कर रही हैं। अब तक कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और पूछताछ जारी है। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क के पीछे एक सुनियोजित गिरोह हो सकता है।
आंतरिक सुरक्षा पर खतरा
खुफिया एजेंसियों ने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में यह भी संकेत मिले हैं कि कुछ अवैध लोग संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियां जांच के दायरे को बढ़ा रही हैं और प्रदेश की सीमाओं पर सतर्कता बढ़ा दी गई है।
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जनता से अपील
पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे अपने आसपास के इलाकों में रह रहे अनजान या संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना तुरंत प्रशासन को दें। मकान मालिकों से यह भी कहा गया है कि वे किरायेदारों के दस्तावेजों की सख्ती से जांच करें और बिना वैध पहचान किसी को मकान न दें।
सरकारी प्रतिक्रिया
प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में बिना किसी दबाव या भेदभाव के सख्त कार्रवाई की जाए।
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