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सुकमा के छिंदगढ़ ब्लॉक के धनीकोड़ता गांव में दो बच्चों समेत 8 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में अधिकांश ग्रामीण हाथ-पैर में दर्द, बुखार और चेचक से पीड़ित थे। 8 से 10 दिन के भीतर ही 8 ग्रामीणों की मौत हो गई। गांव में अभी भी एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं।
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गांव में लगातार हुई मौतों के कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। स्वास्थ्य विभाग से ज्यादा ग्रामीण झाड़-फूंक पर भरोसा जता रहे हैं। पूरा गांव झाड़-फूंक की चपेट में हैं। ठीक नहीं होने पर ग्रामीण अस्पताल पहुंच रहे हैं तब तक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है।
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दो दिन पहले ही लक्कापारा निवासी 55 साल के वेल्ला लिंगा की इलाज के दौरान मौत हो गई। मलेरिया की शिकायत के बाद लिंगा को सुकमा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मौत की सूचना मिलने के बाद तीन दिन से गांव में ही इमली पेड़ के नीचे शिविर लगाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीणों का इलाज कर रही है। बुधवार को आरएमओ राजेश सोनी के साथ 4 स्टाफ नर्स की टीम मौके पर ग्रामीणों का इलाज किया। मलेरिया विभाग से जिला कंसल्टेंट राजेश्वरी भी मौजूद रहीं।
धनीकोड़ता के लक्कापारा निवासी सुक्का हिड़मा और मंगा हिड़मा दोनों सगे भाई हैं एक सप्ताह से दोनों को हाथ-पैर में दर्द की शिकायत थी। 15 फरवरी की सुबह सुक्का हिड़मा (30) की मौत हो गई वहीं देर रात को छोटे भाई मंगा हिड़मा (25) ने बीमारी से दम तोड़ दिया। एक ही घर में दो भाइयों की मौत ने ग्रामीणों को दहशत में ला दिया।
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छिंदगढ़ ब्लॉक का कुन्ना पंचायत घोर नक्सल प्रभावित इलाका था, बीते कुछ सालों में सुरक्षाबलों की दखल के बाद नक्सलवाद में कमी आई है। कुंदनपाल, कुन्ना समेत अन्य पहुंचविहीन इलाकों में सड़कों का काम तेजी से हुआ है। इलाके में प्रशासन की पहुंच आसान हुई है।
बावजूद इसके धनीकोड़ता में अधिकांश बच्चे कुपोषित और महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। इधर छिंदगढ़ एसडीएम विजय प्रताप खेस ने बताया कि गांव में स्थिति नियंत्रण में है। मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है। तीन दिन से स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीणों का इलाज कर रही है।
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