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छत्तीसगढ़ में वायु प्रदूषण दूर करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से तीन शहरों को चुना गया। इन शहरों के लिए सरकार ने करोड़ों का फंड जारी किया। केंद्र के इस राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर, भिलाई और कोरबा को चुना गया।
इन तीन शहरों के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी फंड दिया गया। इस फंड से बड़े पैमाने पर सीसी रोड तो बने लेकिन वायु को साफ करने के लिए कुछ और काम हुए। करीब डेढ़ करोड़ की लागत से आठ अलग अलग जगहों पर कागज पर पौधे लगाए गए।
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इतना ही नहीं पौने दो करोड़ तो इस बात की सलाह मशवरा पर खर्च हुए कि आखिर वायु प्रदूषण को दूर कैसे किया जाए। फिर इस सलाह को अमल में लाने के लिए लोगों को जागरुक किया गया। आइए आपको बताते हैं कैसे लगे कागजों पर पौधे।
हवा साफ कार्यक्रम या फंड साफ कार्यक्रम
केंद्र सरकार ने देशभर के कुछ शहरों में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरु किया। मिलियन प्लस सिटी में छत्तीसगढ़ के तीन शहर शामिल हुए। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर, स्टील शहर भिलाई और औद्योगिक शहर कोरबा को इसमें शामिल किया गया। पांच साल में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को 17 करोड़ रुपए और कोरबा को 5 करोड़ रुपए दिए गए।
नगर पालिक निगम रायपुर को दो सालों में 29 करोड़ रुपए और भिलाई को 27 करोड़ रुपए दिए गए। इन पैसों से नगर निगमों ने अपनी कच्ची सड़कों को तो पक्का किया लेकिन कुछ ऐसे काम भी किए जिनके नाम पर पैसा तो खर्च किया गया लेकिन काम नजर नहीं आए। ये था पौधा रोपने का काम। वायु स्वच्छता कार्यक्रम के तहत आठ जगहों पर पौधे रोप दिए गए लेकिन एक जगह को छोड़कर बाकी सब कागज में ही नजर आए।
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इन पौधों को रोपने में 1.5 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च कर दी गई। पौधे जब कागज में रोपे गए तो राशि कहां गई होगी यह सब समझने की बात है। वहीं छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल ने पौने दो करोड़ रुपए तो आईआईटी खड़गपुर से सलाह लेने में और उस सलाह को अमल में लाने के लिए जन जागरुकता अभियान चलाने में खर्च किए गए।
इतने खर्च में यहां लगाए गए पौधे
इलेक्ट्रानिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर नवा रायपुर - पौधे 3500, जीवित पौधे 2800, लागत 27 लाख रुपए
औद्योगिक क्षेत्र बरतोरी,रायपुर - पौधे 1000, जीवित पौधे निरंक यानी यहां पौधे लगे ही नहीं, लागत 7 लाख रुपए
इन पौधों की फेंसिंग के लिए राज्य वन विकास निगम को दिए गए 45 लाख रुपए
औद्योगिक क्षेत्र लखनपुरी,कांकेर - पौधे 2000, जीवित पौधे निरंक,यहां पौधे नहीं लगे, लागत 14 लाख रुपए
फूडपार्क बागौद बंजारी,धमतरी - पौधे 2000, जीवित पौधे निरंक,यहां पौधे नहीं लगे, लागत 12 लाख रुपए
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग एवं व्यापार परिषद,नवा रायपुर - पौधे 2000, जीवित पौधे निरंक,यहां पौधे नहीं लगे, लागत 12 लाख रुपए
औद्योगिक क्षेत्र औंरेठी,बलौदाबाजार - पौधे 500, जीवित पौधे निरंक,यहां पौधे नहीं लगे, लागत 5 लाख रुपए
औद्योगिक क्षेत्र केसदा,बलौदाबाजार - पौधे 1000, जीवित पौधे निरंक,यहां पौधे नहीं लगे, लागत 7 लाख रुपए
फूडपार्क खुपरी खुर्द,रायपुर - पौधे 500, जीवित पौधे निरंक,यहां पौधे नहीं लगे, लागत 5 लाख रुपए
यहां फेंसिंग के लिए राज्य वन विकास निगम को 17 लाख रुपए दिए गए, निगम ने कहा कार्य प्रगति पर है।
कंसल्टेंसी और प्रचार प्रसार पर खर्च राशि
आईआईटी कानपुर को भिलाई के पर्यावरण अध्ययन के लिए - 59 लाख रुपए
पर्यावरणीय प्रचार प्रसार - 57 लाख रुपए
एनआईटी रायपुर से तकनीकी परामर्श - 3 लाख रुपए
आईआईटी खड़कपुर को रायपुर की पर्यावरणीय केयरिंग कैपिसिटी के लिए - 12 लाख रुपए
प्रचार प्रसार,जनजागृति एवं 2 डी, 3 डी पेंटिंग - 23 लाख रुपए
सरकारी अधिकारियों का प्रशिक्षण एवं कौशल विकास - 20 लाख
इन सब कार्यक्रमों से हवा कितनी साफ हुई ये तो अलग बात है लेकिन इससे हवा साफ करने के लिए आया फंड जरुर साफ हो गया।
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