बोनस देने में सवा लाख किसानों को भूली CG सरकार, 8 साल से यही पता नहीं कि कहां हैं ये अन्नदाता

विष्णु सरकार ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले आनन-फानन में 24 लाख किसानों को 13 हजार करोड़ का धान का बोनस बांट दिया। लेकिन बोनस देने में सवा लाख किसानों को भूल गई। ये वे किसान हैं जो मोदी की गारंटी में नहीं आते।

Advertisment
author-image
Arun tiwari
New Update
PM Modi Paddy Bonus
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Raipur : मोदी की गारंटी पूरी करने में विष्णु सरकार ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले आनन-फानन में 24 लाख किसानों को 13 हजार करोड़ का धान का बोनस बांट दिया, लेकिन बोनस देने में सवा लाख किसानों को भूल गई। ये वे किसान हैं, जो मोदी की गारंटी में नहीं आते। जिनकी गारंटी ली थी, उनके खातों में पैसा पहुंच गया। ये किसान इसलिए गारंटी में नहीं आते, क्योंकि ये आठ साल से अपने बोनस का इंतजार कर रहे हैं। इससे भी बड़ी हैरानी की बात तो ये है कि आठ साल में सरकार ये भी पता नहीं लगा पाई कि ये किसान जिंदा हैं या मर गए हैं। ये पता जब चल जाएगा, तब इनको बोनस देने की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। आइए आपको दिखाते हैं कि क्या है पूरा गड़बड़झाला। 

ये है पूरा माजरा

छत्तीसगढ़ में जब से बीजेपी सरकार बनी तब से वो धान उत्पादक किसानों को बोनस देती रही है। ये हर बार विधानसभा चुनावों में बीजेपी का चुनावी वादा रहा है। लगातार तीन बार रमन सरकार बनने और विष्णु सरकार बनने के पीछे यह बड़ी वजह मानी गई। द सूत्र ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पता चला कि बोनस देने में सवा लाख किसानों को तो सरकार भूल ही गई है। अब सरकार इनको क्यों भूली है इसके पीछे भी हैरान करने वाला कारण है। सरकार को ये नहीं पता कि ये किसान जिंदा हैं या फिर मर गए हैं। और ये जांच सरकार पिछले आठ साल से कर रही है। इस दौरान तीन सरकारें बन गई लेकिन इन किसानों की जिंदगी और मौत का पता नहीं चल पाया। ताज्जुब की बात है कि जब धान के लिए पंजीयन कराया गया था तब तो ये किसान जिंदा ही रहे होंगे तो फिर इनको बोनस देने में क्यों छोड़ दिया गया। सवाल तो पैदा होता है। 

धान उत्पादन प्रोत्साहन योजना

साल 2015-16 में रजिस्ट्रेशन कराया 11 लाख 11 हजार 316 किसानों ने, इनमें से 9 लाख 97 हजार 796 किसानों को 1600 करोड़ रुपए से ज्यादा का बोनस बांटा गया। यानी 1 लाख 13 हजार 520 किसानों को छोड़ दिया गया। 

साल 2015-16 में 13 लाख 34 हजार 239 किसानों ने धान के बोनस के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। इन किसानों को 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा की बोनस राशि दी गई। इनमें वे सवा लाख किसान शामिल नहीं थे।

ये खबर भी पढ़ें...

Chhattisgarh Coal Scam: निलंबित IAS रानू साहू, समीर विश्नोई और पूर्व उपसचिव सौम्या के खिलाफ तीन नई FIR दर्ज

सरकार ने बताई ये वजह

कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने सवा लाख किसानों को बोनस न मिलने की कुछ वजहें भी बताई हैं। कृषि मंत्री रामविचार नेताम कहते हैं कि किसान की मौत हो जाने, ट्रांजेक्शन फेल हो जाने,आईएफएससी कोड या बैंक खाता गलत होने या किसान के कहीं और चले जाने के कारण इनको बोनस नहीं मिल पाया। तहसील स्तर या बीज निगम स्तर पर किसानों का सत्यापन किया जाता है और फिर उनका भुगतान किया जाता है। इसलिए इन किसानों को कब बोनस मिल पाएगा ये बताना संभव नहीं है। मतलब साफ है कि इन आठ सालों में न तहसील स्तर पर और न ही बीज निगम स्तर पर इसकी पड़ताल की गई है कि इन किसानों को बोनस क्यों नहीं मिल पा रहा है। तो सवाल ये भी है कि जब ये वजह ही साफ नहीं है तो फिर आठ साल से ही ये किसान बोनस से वंचित हैं।

ये खबर भी पढ़ें...

छत्तीसगढ़ : लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर्स पर विष्णुदेव सरकार सख्त, 66 डॉक्टर्स के खिलाफ नोटिस जारी

8 साल से चल रही जांच

ये किसान जिंदा हैं या नहीं, यदि नहीं हैं तो इनके वारिस कौन हैं। इस पर पिछले आठ साल से जांच चल रही है। सरकारें बदल गईं लेकिन जांच पूरी नहीं हो पाई। अब फिर बीजेपी की सरकार बनी तो इन किसानों का पता लगाने के लिए नए नियम बना दिए गए। सरकार बनने के बाद 21 दिसंबर 2003 में नया सर्कुलर जारी किया गया। इसमें सहकारी समिति प्रबंधक जांच करेगा। वो अपनी जांच की रिपोर्ट तहसील में देगा। तहसील से ये जानकारी विभाग में जाएगी और ऑनलाइन ही इसका निराकरण किया जाएगा। 

ये खबर भी पढ़ें...

सिनेमा का क्रेज कभी भी कम नहीं होगा, OTT नए बच्चों को देता है प्लेटफार्म : सुनील शेट्टी

इन बिंदुओं पर चल रही जांच

  • इन किसानों की मौत हो गई है या ये जीवित हैं।
  • ये किसान बैंक के डिफाल्टर तो नहीं हैं।
  • इनका कानूनी उत्तराधिकारी है या नहीं।
  • ये जमीन इनके ही पास है या बेची जा चुकी है।
  • मृत्यु प्रमाणपत्र या कानून वारिस का प्रमाणपत्र समिति प्रबंधक को दिया या नहीं।

ये खबर भी पढ़ें...

NEET UG 2024 : नीट-यूजी में धांधली को लेकर 'सुप्रीम' टिप्पणी , कोर्ट ने कहा- दो छात्रों की गड़बड़ी से पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते

ये सरकारी सिस्टम है साहब

इसी को शायद लाल फीताशाही कहा जाता है। यह सरकारी सिस्टम है जो सरकारें बदलने से भी नहीं बदलता। ये सिस्टम आठ साल में ये पता नहीं लगा पाया कि इन सवा लाख किसानों में से कितनी जीवित हैं और क्यों इनको बोनस की राशि नहीं मिल रही है। सीएम के जनदर्शन में भी नौकरशाही की यही आदत सामने आई। लोग एक छोटा सा राशन कार्ड बनवाने के लिए भी सीएम से गुहार लगा रहे हैं। वहीं बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए बोनस का ऐलान कर दिया और सरकार बनने के बाद बोनस को मोदी की गारंटी बताकर दे भी दिया। लेकिन सवाल उठता है कि क्या साहब यह सवा लाख किसान मोदी की गारंटी से बाहर हैं।

सीएम विष्णुदेव साय मोदी की गारंटी CM Vishnu Dev Sai छत्तीसगढ़ धान खरीदी बोनस