पुलिस की भाषा में बदलेंगे उर्दू-फारसी के रोजनामचा और नकबजनी जैसे शब्द, हिंदी का होगा इस्तेमाल

पुलिस अपनी एफआईआर में कई ऐसे शब्दों का प्रयोग करती है। क्राइम केसेस के भी नाम ऊर्दू-फारसी में होते हैं, जैसे पुलिस कई जगहों पर मृतकों के बारे में फौत होना लिखती है। इसका मतलब मौत होने से है। 

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Arun Tiwari
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रायपुर : छत्तीसगढ़ की पुलिस अब उर्दू और फारसी शब्दों ( urdu and persian words ) की जगह हिंदी शब्दों का प्रयोग करेगी। गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस ऐसे शब्दों का प्रयोग करे जो आम आदमी को समझ में आएं। पुलिस की भाषा ( police language ) में अंग्रेजों के जमाने के शब्द आज भी चल रहे हैं। अब इस भाषा को हटाकर आम आदमी के शब्द जोड़े जाएंगे। गृहमंत्री निर्देशित किया है कि पुलिस की कार्यप्रणाली में चलन से बाहर हो चुके रोजानामचे जैसे अनेक शब्दों को हटाकर जनता की समझ में आने लायक भाषा का उपयोग किया जाए। 

पुलिस अपनी एफआईआर (FIR) में कई ऐसे शब्दों का प्रयोग करती है। क्राइम केसेस के भी नाम ऊर्दू-फारसी में होते हैं, जैसे पुलिस कई जगहों पर मृतकों के बारे में फौत होना लिखती है। इसका मतलब मौत होने से है। इसी तरह नकबजनी शब्द का इस्तेमाल होता है जिसका मतलब नकाब पोश चोरों का घर या दुकान में घुसकर चोरी करना है।

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150 सालों से चलन में हैं ये शब्द 

जानकारी के मुताबिक 1861 में अंग्रेजों ने भारत में पुलिस अधिनियम लागू कर पुलिस प्रणाली का गठन किया था। उस समय हिंदी भाषी राज्यों में मुगलिया प्रभाव के चलते बोलचाल की भाषा में उर्दू, अरबी और फारसी शब्दों का खूब प्रयोग किया जाता था। इस मिली जुली भाषा को अंग्रेजों ने सरकारी दस्तावेजों में लिखा पढ़ी की भाषा के तौर पर इस्तेमाल किया। आजादी के 75 साल बाद अन्य विभागों ने तो अपनी भाषा बदल ली। मगर पुलिस अभी भी दस्तावेजों की लिखा पढ़ी में परंपरागत और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करती है।

ये है पुलिस की शब्दावली 

चिक खुराक - थाने पर आरोपित के खाने पर हुआ खर्च
नकल रपट - किसी लेख की नकल
नकल चिक - एफआइआर की प्रति
मौका मुरत्तिब - घटनास्थल पर की गई कार्रवाई
बाइस्तवा - शक, संदेह,
तरमीम - बदलाव करना अथवा बदलना
चस्पा - चिपकाना
जरे खुराक - खाने का पैसा
जामा तलाशी- वस्त्रों की छानबीन,
बयान तहरीर - लिखित कथन
नक्शे अमन- शांतिभंग
माल मसरूका- लूटी अथवा चोरी गई संपत्ति,
मजरूब- पीड़ित,
मुजामत- झगड़ा
मुचलका- व्यक्तिगत पत्र
रोजनामचा आम- सामान्य दैनिक
रोजनामचा खास- अपराध दैनिक
सफीना - बुलावा पत्र
हाजा - स्थान अथवा परिसर
अदम तामील- सूचित न होना
अदम तकमीला- अंकन न होना
अदम मौजूदगी - बिना उपस्थिति
अहकाम- महत्वपूर्ण
गोस्वारा - नक्शा
इस्तगासा : दावा, परिवाद
इरादतन : साशय
कब्जा : आधिपत्य
कत्ल/कातिल/कतिलाना : हत्या,वध/हत्यारा/प्राणघातक
गुजारिश : प्रार्थना, निवेदन
गिरफ्तार/हिरासत : अभिरक्षा
नकबजनी : गृहभेदन, सेंधमारी
चश्मदीद गवाह : प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी

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