हाईकोर्ट के निर्देश पर पर्यावरण प्रदूषण मंडल ने शिवनाथ नदी और खजीरी नाले के पानी की गुणवत्ता की जांच की। सोमवार को प्रस्तुत स्टेट रिपोर्ट में बताया गया कि निरीक्षण में अव्यवस्था मिलने पर भाटिया वाइंस पर 1 लाख 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया कि पांच के सैंपल की जांच में पानी को मानकों के अनुरूप पाया गया, मछली पालन और अन्य जीव जीव प्रजनन के लिए मानक है। अब केस की सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
भाटिया वाइंस से निकले प्रदूषण से पहले भी कई मछलियों की हो चुकी है मौत
दरअसल, पिछले साल ग्राम दगौरी में भाटिया वाइंस से निकले प्रदूषित पानी की वजह से शिवनाथ नदी में बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई थी। इसे लेकर प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है।
साथ ही भाटिया वाइंस समेत अन्य को नोटिस जारी किया गया। जिसके बाद से इस मामले पर हाईकोर्ट मॉनिटरिंग कर रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि 11 अप्रैल से लेकर 8 जुलाई के बीच सैंपल लिए गए। इनमें घुलित ऑक्सीजन का स्तर 5.0 से 5.8 मि.ग्रा./लीटर के बीच रहा। हालांकि, खजीरी नाला सूखा था। वहां पानी ही नहीं था।
भाटिया वाइंस पर 1.20 लाख का जुर्माना- पर्यावरण प्रदूषण मंडल ने गंदा पानी बहाने और खराब हाउसकीपिंग के चलते वाइंस प्रबंधन पर जुर्माना लगाया।
पानी की गुणवत्ता रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश- शिवनाथ नदी और खजीरी नाले के लिए लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट में नदी का पानी मछली पालन के लिए उपयुक्त पाया गया।
मछलियों की मौत बनी जांच की वजह- पिछले साल भाटिया वाइंस से निकले प्रदूषण के कारण शिवनाथ नदी में बड़ी संख्या में मछलियां मरी थीं, जिससे हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया।
पहले लापरवाही, बाद में सुधार- पहली जांच में नाले के जरिए अपशिष्ट बहाया जा रहा था। दोबारा निरीक्षण में जल शोधन और हाउसकीपिंग में सुधार पाया गया।
अगली सुनवाई 25 अगस्त को तय- हाईकोर्ट में अब इस जनहित मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त 2025 को होगी।
सुनवाई के दौरान बताया गया कि पर्यावरण मंडल ने 4 जुलाई को भाटिया वाइंस की जांच के दौरान गंभीर लापरवाही पाई। अपशिष्ट नाले के माध्यम से बाहर बहाया जा रहा था और हाउसकीपिंग व्यवस्था भी बेहद खराब मिली। इसके बाद प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया।
मंडल ने 8 जुलाई को दोबारा निरीक्षण किया और पाया कि अपशिष्ट जल के ट्रीटमेंट की व्यवस्था कर ली है। गंदे पानी का उपयोग शीतलन, पौधरोपण और धूल नियंत्रण में किया जा रहा है। साथ ही हाउसकीपिंग भी संतोषजनक पाई गई। हालांकि पहले हुए उल्लंघन को देखते हुए मंडल ने 9 जुलाई 2025 1 लाख 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।