जंगल सफारी नहीं रायगढ़ का अभयारण्य बना वाइल्ड लाइफ का स्पॉट
रायगढ़ जिले के अभयारण्य बाइसन, सांभर, नीलगाय, चीतल, तेंदुआ, हाथी, उल्लू, वनभैंसा, भालू, खरगोश, जंगली सूअर, लकड़बग्घा और मोर जैसे अनेक वन्य प्राणियों का घर है।
जंगल सफारी अब केवल रायपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में स्थित गोमर्डा अभयारण्य भी वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। यह अभयारण्य बाइसन, सांभर, नीलगाय, चीतल, तेंदुआ, हाथी, उल्लू, वनभैंसा, भालू, खरगोश, जंगली सूअर, लकड़बग्घा और मोर जैसे अनेक वन्य प्राणियों का घर है।
अच्छी बात यह है कि यहां इन जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, इनकी गणना का कोई निश्चित सिस्टम नहीं है, इसलिए भीड़ देखकर ही अनुमान लगाया जाता है। यह अभयारण्य 277 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और एक सड़क इसे दो हिस्सों में बांटती है बरमकेला-गोमर्डा और सारंगढ़-गोमा। जून का महीना यहां भ्रमण के लिए उपयुक्त माना जाता है।
1992 में 9 हाथी पहुंचे थे यहीं से बढ़े अन्य जिलों में
यहां के रेंजर जोगेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि 1992 में झारखंड में माइंस खुलने के बाद 9 हाथियों का दल पहली बार यहां आया था। यहीं से उनका कुनबा बढ़ता गया और रायगढ़, धरमजयगढ़, कोरबा, महासमुंद, अंबिकापुर सहित अन्य जिलों में फैल गया। अब इनकी संख्या 450 से अधिक हो चुकी है।
बाघ की मौत, बाधिन का मूवमेंट नहीं मिला
इस अभयारण्य में एक नर बाघ और एक बाघिन थी। पिछले साल बाघ का शिकार कर दिया गया, जिसके बाद केवल बाघिन बची थी। कुछ समय तक उसका मूवमेंट दिखा, लेकिन अब वह भी नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा एक सांभर की मौत पानी में फंसने से हो गई थी।
गोमर्डा अभयारण्य कहाँ स्थित है और यहाँ कौन-कौन से वन्य प्राणी पाए जाते हैं?
गोमर्डा अभयारण्य छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में स्थित है। यहाँ बाइसन, सांभर, नीलगाय, चीतल, तेंदुआ, हाथी, उल्लू, वनभैंसा, भालू, खरगोश, जंगली सूअर, लकड़बग्घा और मोर जैसे अनेक वन्य प्राणी पाए जाते हैं।
गोमर्डा अभयारण्य में हाथियों की संख्या कैसे बढ़ी?
वर्ष 1992 में झारखंड में माइंस खुलने के बाद 9 हाथियों का दल पहली बार गोमर्डा अभयारण्य पहुंचा था। यहीं से उनका कुनबा बढ़ा और अब वे रायगढ़, धरमजयगढ़, कोरबा, महासमुंद, अंबिकापुर सहित अन्य जिलों में फैल गए हैं। वर्तमान में उनकी संख्या 450 से अधिक है।
गोमर्डा अभयारण्य में बाघों की क्या स्थिति है?
पहले इस अभयारण्य में एक नर बाघ और एक बाघिन थीं। लेकिन पिछले साल नर बाघ का शिकार कर दिया गया और अब बाघिन का मूवमेंट भी नजर नहीं आ रहा है।