रायपुर AIIMS में डॉक्टर से मिलने 48 घंटे का इंतजार, बिलासपुर में समय पर नहीं पहुंचते डॉक्टर; हाईकोर्ट ने हेल्थ सेक्रेटरी से मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों को हो रही दिक्कतों पर नाराजगी जताते हुए इसे चिंताजनक बताया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Waiting for 48 hours to meet a doctor in Raipur AIIMS the sootr
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छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाबछत्तीसगढ़ की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को हो रही असुविधाओं पर गहरी नाराजगी जताई और इसे चिंताजनक बताया।

रायपुर के एम्स में मरीजों को डॉक्टर से मिलने के लिए 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि बिलासपुर के अस्पतालों में डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते, जिससे मरीजों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता है। कोर्ट ने इन अव्यवस्थाओं पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

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लंबी कतारें, सर्जरी में देरी

हाईकोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, रायपुर एम्स में रजिस्ट्रेशन के बाद मरीजों को 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।

बिलासपुर के अस्पतालों में हालात और भी खराब हैं, जहां सर्जरी के लिए चार महीने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। यहां तक कि एक्स-रे जैसी बुनियादी जांच के लिए भी मरीजों को तीन घंटे तक कतार में रहना पड़ता है। कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति मरीजों के समय और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।

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निजी अस्पतालों पर निर्भरता असंभव

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि छत्तीसगढ़ की अधिकांश आबादी निजी अस्पतालों में महंगा इलाज नहीं करा सकती। ऐसे में सरकारी अस्पताल ही उनकी एकमात्र उम्मीद हैं। लेकिन इन अस्पतालों में लापरवाही और अव्यवस्था मरीजों के लिए गंभीर संकट पैदा कर रही है।

कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि गर्भावस्था जांच किट के गलत परिणाम, घटिया सर्जिकल सामग्री और लैब टेस्ट में फेल दवाओं की आपूर्ति जैसे मामले चिंता का विषय हैं।

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बिलासपुर में डॉक्टरों की अनुपस्थिति

सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक उदाहरण दिया। कोर्ट ने कहा कि बिलासपुर में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रिकॉर्ड में 15 डॉक्टर हैं। इसके बावजूद सुबह 11 बजे तक अस्पताल  डॉक्टर मौजूद पहुंचे थे। उस समय अस्पताल में सैंकड़ों मरीज लाइन में खड़े होकर इंतजार कर रहे थे।

इतना ही एक साल से अस्पताल की एक्स-रे मशीन बंद पड़ी थी। हमर लैब भी रीएजेंट की कमी के कारण काम नहीं कर रही थी। कोर्ट ने इन खामियों को गंभीर लापरवाही करार देते हुए स्वास्थ्य विभाग के सचिव को शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया।

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अगली सुनवाई 12 अगस्त को

चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से इसका जवाब मांगा है। साथ अगली सुनवाई 12 अगस्त, 2025 तय की है। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। 

FAQ

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर क्या टिप्पणी की?
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को चिंताजनक बताया और कहा कि सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था, डॉक्टरों की अनुपस्थिति, सर्जरी में देरी और बुनियादी जांच में लापरवाही से मरीजों के स्वास्थ्य और समय के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
रायपुर एम्स और बिलासपुर के अस्पतालों में मरीजों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?
रायपुर एम्स में मरीजों को डॉक्टर से मिलने के लिए 48 घंटे का इंतजार करना पड़ता है, जबकि बिलासपुर के अस्पतालों में डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते। सर्जरी के लिए चार महीने तक इंतजार करना पड़ता है और एक्स-रे जैसी साधारण जांच के लिए भी मरीजों को तीन घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है।
हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और सरकार को क्या निर्देश दिए हैं?
हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सचिव को शपथपत्र के माध्यम से जवाब देने का आदेश दिया है और स्वास्थ्य सेवाओं में पाई गई लापरवाही पर स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 12 अगस्त, 2025 तय की है।

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