कागजाें में चल रहे अस्पताल को सीएम स्वेच्छानुदान से 48 लाख मंजूर, विधायक जयवर्धन के सवाल से हुआ खुलासा
सीएम स्वेच्छानुदान से फर्जी अस्पताल के नाम पर 48 लाख रुपए की राशि निकाले जाने का मामला सामने आया है। यह अस्पताल अस्तित्व में नहीं था। इस घोटाले का खुलासा राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में हुआ
गुना जिले के मकसूदनगढ़ में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान (CM Relief Fund) के तहत 48.70 लाख रुपए की राशि एक ऐसे अस्पताल को मंजूर की गई, जो अस्तित्व में ही नहीं था। इस अस्पताल का नाम "भोपाल सिटी हॉस्पिटल" था, और यह अस्पताल न तो कभी खोला गया था, न ही वहां कोई मेडिकल सुविधा प्रदान की गई। इस घोटाले का खुलासा राघोगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में हुआ, जो स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने दी।
यह मामला तब उजागर हुआ जब एक शिकायत के बाद गुना सीएमएचओ द्वारा इस अस्पताल की जांच कराई गई। जांच में पता चला कि "भोपाल सिटी हॉस्पिटल" का कोई अस्तित्व नहीं था, और सारे बिल फर्जी थे। मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से 19 जुलाई 2024 से लेकर अब तक इस अस्पताल के नाम पर लगभग 48.70 लाख रुपए की राशि जारी की गई थी।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से इस अस्पताल के नाम पर बिल लगाकर फर्जी तरीके से सहायता राशि निकाली गई। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि जिन व्यक्तियों के नाम पर राशि निकाली गई थी, वे न तो बीमार थे और न ही उन्होंने अस्पताल में कोई इलाज कराया था। यह सब एक साजिश का हिस्सा था, जिसमें अस्पताल के संचालक ने फर्जी मरीजों के नाम पर बिल बनवाए और पैसे निकाल लिए।
स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल (Special Investigation Team) का गठन किया है। इस टीम के द्वारा मामले की गहराई से जांच की जाएगी, ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके और इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा सकें।
सीएम स्वेच्छानुदान से जुडे इस फर्जीवाडे़ को ऐसे समझें
फर्जी अस्पताल का खुलासा: गुना जिले के मकसूदनगढ़ में एक फर्जी अस्पताल "भोपाल सिटी हॉस्पिटल" के नाम पर मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान फंड से 48.70 लाख रुपये की राशि निकाली गई।
जांच में हुआ खुलासा: जांच में पता चला कि इस अस्पताल का कोई अस्तित्व नहीं था और अस्पताल से जुड़े मरीजों के नाम पर फर्जी बिल लगाए गए थे।
मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान का दुरुपयोग: इस राशि का इस्तेमाल फर्जी अस्पताल के नाम पर किया गया, जबकि अस्पताल कभी अस्तित्व में ही नहीं था।
जांच दल का गठन: मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री व उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने विशेष जांच दल का गठन किया है।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई: जांच दल दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा, ताकि ऐसे फर्जीवाड़े की पुनरावृत्ति न हो।
क्या है मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान (CM Relief Fund)?
मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान, राज्य सरकार द्वारा जरुरतमंदों के इलाज और अन्य चिकित्सा सहायता के लिए प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता है। यह योजना गरीब और जरुरतमंद लोगों को तत्काल राहत देने के उद्देश्य से बनाई गई थी। लेकिन, इस मामले ने इस योजना के भ्रष्टाचार और कदाचार के एक नए पहलू को उजागर किया है।
इस जानकारी के सामने आने के बाद राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने सीएम स्वेच्छानुदान से दिए जा रहे लाखों के अनुदानों की निष्पक्ष जांच की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई अन्य संस्थान प्रदेश में हैं जो फर्जी तरीके से स्वचेछानुदान की राशि का दुरुपयोग कर रहे है।