RAIPUR. छत्तीसगढ़ के रायपुर नगर निगम ने आधा दर्जन बड़े बिल्डरों को नोटिस जारी किया है। निगम के छापामार अमले ने वालफोर्ट एलेन्सिया सरोना, मारुति लाइफ स्टाइल कोटा, पार्थिवी प्राविन्स सरोना, डीएम टावर कोटा और कृष्णा पैराडाइज कोटा के परिसर और अपार्टमेंट की जांच के बाद नोटिस जारी किए हैं।
प्रति 100 वर्गमीटर पर हजार रुपए से जुर्माना लगेगा
रायपुर में आधा दर्जन बिल्डर को नोटिस देने के मामले में निगम कमिश्नर अविनाश मिश्रा ने कहा है कि सभी परिसरों की जांच होगी। इस मामले में जिन्हें नोटिस दिया गया है, वे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सुधारकर फोटोग्राफ सहित निगम दफ्तर को अवगत करवाएं। ऐसा नहीं हुआ तो हर परिसर पर प्रति 100 वर्गमीटर पर हजार रुपए की दर से जुर्माना तो लगाया ही जाएगा, साथ ही हार्वेस्टिंग सिस्टम की तुरंत मरम्मत भी करवाई जाएगी।
बारिश देखते हुए निगम ने यह कार्रवाई शुरू की
नगर निगम ने मंगलवार, 21 मई को जिन अपार्टमेंट्स की जांच की है वे सभी बड़े परिसर हैं और उनमें से दो से तीन बिल्डरों का संबंध छत्तीसगढ़ के बडे़ तथा कांग्रेस सरकार के दौरान प्रभावशाली रहे बिल्डर्स से है। बारिश करीब है इसको देखते हुए निगम ने यह कार्रवाई शुरू की है। इन निजी आवासीय परिसरों में जोन-8 के ईई अभिषेक गुप्ता, ईश्वर टावरे और अक्षय भारद्वाज के साथ निगम अमले ने जांच की है। वालफोर्ट, मारुति और पार्थिवी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का मेंटेनेंस नहीं होने की वजह से नोटिस जारी किया गया है। इसी तरह, डीएम टावर और कृष्णा पैराडाइज में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही नहीं मिला है।
टाउन प्लानिंग से नक्शे मंजूर करवाए, लेकिन सिस्टम नहीं लगवाए
गौरतलब है, नगर निगम छोटे-छोटे मकानों का नक्शा पास करते समय फीस के साथ वाटर हार्वेस्टिंग का चार्ज वसूल रहा है। जहां तक बिल्डरों का सवाल है, टाउन प्लानिंग से वे नक्शे मंजूर करवा रहे हैं, लेकिन सिस्टम नहीं लगवा रहे हैं। निगम कमिश्नर अबिनाश मिश्रा ने चेतावनी दी है कि हफ्तेभर में स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जुर्माना वसूला जाएगा। निगम के अलग-अलग जोन का दस्ता अगले 15 दिन तक लगातार इस तरह की जांच जारी रखेगा।
ये होता है वॉटर हार्वेस्टिंग
जल संग्रहण (वॉटर हार्वेस्टिंग) का मतलब है बारिश के पानी को विभिन्न तरीकों से संचित करना या बचाना। तालाब या झील के अलावा जमीन के नीचे बनाए गए टैंक के जरिए भी बारिश को पानी को इकट्ठा किया जा सकता है। इस पानी का उपयोग, बागवानी और सिंचाई के लिए तो आसानी से किया ही जा सकता है।