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Rajim Kumbh Kalpa Fair 2025 : छत्तीसगढ़ का महाकुंभ कहे जाने वाला राजिम कुंभ कल्प मेला आज यानी 12 फरवरी 2025 माघ पूर्णिमा से प्रारंभ हो रहा है। इसका समापन 26 फरवरी महाशिवरात्रि को होगा। मेले के दौरान 21 से 26 फरवरी तक विराट संत समागम होगा। राजिम कुंभ कल्प में 12 फरवरी माघ पूर्णिमा, 21 फरवरी जानकी जयंती और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को पर्व स्नान भी होंगे। इसमें शाही जुलूस भी निकाला जाएगा। श्रद्धालु पुण्य स्नान पश्चात भगवान श्रीराजीव लोचन एवं श्रीकुलेश्वर महादेव, दानदानेश्वर, बाबा गरीबनाथ, लोमष ऋषि आश्रम दर्शन कर पुण्य लाभ लेंगे।
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नए मैदान में लगेगा मेला
कुंभ कल्प का आयोजन इस बार नए मेला मैदान में किया जा रहा है। लगभग 54 एकड़ में फैले नवीन मेला मैदान में मुख्यमंच, विभागीय स्टॉल, फूड जोन, मीना बाजार आदि लगेगा। वहीं, संत समागम, महानदी आरती का आयोजन पुराने मेला स्थल पर किया जाएगा।
प्रशासन ने इस बार लोमष ऋषि आश्रम से कुलेश्वर महादेव मंदिर, मामा-भांचा मंदिर, महानदी आरती स्थल होते हुए नवीन मेला मैदान में अस्थाीय कच्ची सड़क बनाया गया है। सड़क के दोनों किनारे दुकान भी सज गई है। मेला क्षेत्र के चारों तरफ रंग बिरंगी सतरंगी झालरों से जगमग हो रहा है। नदी क्षेत्र में ही साहू समाज राजिम भक्तिन मंदिर समिति, राइस मिल एसोसिएशन द्वारा निशुल्क भंडारे की व्यवस्था रहेगी।
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साध्वी प्रज्ञा भारती के सानिध्य में भव्य महानदी आरती
नवीन मेला स्थल पर स्थानीय कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी होगी। वहीं मुख्य मंच में ही राष्ट्रीय एवं प्रदेश के सुप्रसिद्ध लोक कला मंच के अलावा दूसरे राज्यों के कार्यक्रम की प्रस्तुति होगी। इसके अलावा प्रतिदिन शाम 6 बजे से साध्वी प्रज्ञा भारती के सानिध्य में भव्य महानदी आरती किया जाएगा।
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पंडोखर सरकार का दरबार और डॉ. संजय कृष्ण सलिल जी के होंगे प्रवचन
नदी क्षेत्र में बनाए गए संत समागम स्थल पर 21 फरवरी से 25 फरवरी तक दतिया म.प्र. से पहुंचे गुरुशरण महाराज (पंडोखर सरकार) का सत्संग दरबार लगाया जाएगा। महाराज शाम 4 बजे से 7 बजे सत्संग करेंगे। इसी प्रकार 13 फरवरी से 19 फरवरी तक भागवत कथा का आयोजन किया गया है। यहां उदयपुर राजस्थान से पधारे डॉ. संजय कृष्ण सलिल जी महाराज प्रवचन देंगे। कथा का आयोजन शाम 4 बजे से 7 बजे तक रखा गया है।
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छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम कुंभ कल्प के स्वागत के लिए तैयार
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को राजिम कुंभ कल्प और शिबरीनारायण मेले की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 12 फरवरी से महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के त्रिवेणी संगम पर प्रारंभ हो रहा राजिम कुंभ कल्प न केवल छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, बल्कि इसकी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का जीवंत संगम भी है।
राजिम, जिसे 'छत्तीसगढ़ का प्रयाग' कहा जाता है, सदियों से श्रद्धालुओं और संत समाज के लिए आस्था का केंद्र रहा है। राज्य सरकार ने राजिम माघी पुन्नी मेले को पुनः उसके मूल स्वरूप में प्रतिष्ठित करते हुए "राजिम कुंभ कल्प" का नाम दिया है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की गौरवशाली सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के संरक्षण व संवर्धन का महत्वपूर्ण प्रयास है।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम कुंभ कल्प के स्वागत के लिए तैयार है।
राजिम कुंभ कल्प में संत-समागम, धार्मिक प्रवचन, लोक संस्कृति के विविध रंग और आध्यात्मिक चेतना की अनूठी झलक देखने को मिलेगी। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ आसपास के राज्यों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।
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