नामी इंस्टिट्यूट में फीस की गड़बड़ी... स्टूडेंट्स से तीन गुना वसूले

रावतपुरा मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण और सीट पॉजिटिव रिपोर्ट तैयार करने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के सदस्यों को रिश्वत देने के मामले में फंसे रावतपुरा सरकार का एक और नया कारनामा सामने आया है।

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Kanak Durga Jha
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Rawatpura Institute Fee irregularities charged three times fee from  students the sootr
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रावतपुरा मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण और सीट पॉजिटिव रिपोर्ट तैयार करने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के सदस्यों को रिश्वत देने के मामले में फंसे रावतपुरा सरकार का एक और नया कारनामा सामने आया है। राजधानी के रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय ने फार्मेसी इंस्टिट्यूट की फीस में गड़बड़ी की है।

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वसूले गई तीन गुना ज्यादा फीस

राज्य सरकार ने प्रवेश व फीस विनियामक कमेटी (एएफआरसी) की रिपोर्ट के आधार पर व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले सारे कॉलेजों के लिए फीस निर्धारित की है। लेकिन, रावतपुरा सरकार संस्थान ने विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से तीगुना फीस निर्धारित कराकर विद्यार्थियों से वसूला है। जबकि, विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के पास साल 2008 के बाद व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस तय करने का अधिकार ही नहीं है।

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दुर्ग के कुम्हारी में रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी संचालित है। यहां बैचलर ऑफ फॉर्मेसी (बी फार्मा) पाठ्यक्रम के लिए कुल 100 सीटें उपलब्ध हैं। एएफआरसी की ओर से रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी कॉलेज में संचालित बी फार्मा के लिए साल 2024- 25 के लिए सालाना फीस 39,300 रुपए निर्धारित किया गया था। वहीं, संस्था ने निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से सांठगांठ कर एक लाख बीस हजार तय करा लिया। इसी के आधार पर विद्यार्थियों से फीस वसूली भी की गई।

राज्य शासन ने जारी किया था आदेश

राज्य शासन ने 24 फरवरी 2024 को एक स्पष्ट आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि फार्मेसी पाठ्यक्रमों की फीस केवल एएफआरसी की ओर से ही निर्धारित की जाएगी और वही मान्य होगी। छत्तीसगढ़ निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (प्रवेश का विनियमन एवं शुल्क का निर्धारण) अधिनियम 2008 में गठित एएफआरसी की ओर से पारित संकल्प के अंतर्गत निजी फार्मेसी कालेजों में संचालित एम फार्मेसी, बी फार्मेसी और डी फार्मेसी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए वर्ष 2024-2025, 2025-2026 और 2026-2027 के लिए फीस का पुनरीक्षण दर निर्धारण किया गया है।

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निर्धारित शुल्क पर सहमति व्यक्त करते हुए इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाता है। यह शुल्क तब तक लागू रहेगी, जब तक की समिति की ओर से कोई अन्य शुल्क निर्धारित नहीं कर दिया जाता है। शुल्क प्रति सेमेस्टर निर्धारित किया गया है।यदि ऐसा किया गया है तो गलत है। इस साल पांच जून को समिति का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। अब नए सिरे से तीन सदस्यीय समिति के गठन के बाद ही ऐसी किसी शिकायत पर कार्रवाई हो सकती है।

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