पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज, रायपुर में विभिन्न रिक्त पदों को भरने के लिए 150 संविदा भर्तियों की प्रक्रिया शुरू हो रही है। इनमें सहायक प्राध्यापक, सीनियर रेसीडेंट, प्रदर्शक, जूनियर रिसर्च साइंटिस्ट और साइंटिफिक ऑफिसर जैसे पद शामिल हैं। भर्ती के लिए इंटरव्यू 4 जून 2025 को आयोजित किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज और अंबेडकर अस्पताल की व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में यह भर्ती महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
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लंबे समय से रिक्त पड़े थे पद
लंबे समय से रिक्त पड़े इन पदों के कारण मेडिकल कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था और अंबेडकर अस्पताल में हृदय रोग सहित अन्य विभागों की चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। संविदा पर नियुक्त डॉक्टर और चिकित्सा शिक्षक अक्सर दो-तीन साल बाद नौकरी छोड़ देते हैं, क्योंकि संविदा का वेतन कम है और कई डॉक्टर निजी प्रैक्टिस या निजी अस्पतालों में बेहतर वेतन के लिए चले जाते हैं।
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भर्तियां आरक्षण रोस्टर के अनुसार
भर्ती विवरण के अनुसार, सहायक प्राध्यापक के 53, सीनियर रेसीडेंट (नियमित) के 10, सीनियर रेसीडेंट (संविदा) के 61, प्रदर्शक के 3, कॉर्डियो वस्कुलर एवं थोरेसिक सर्जरी विभाग के लिए सहायक प्राध्यापक के 11, सीनियर रेसीडेंट के 10, जूनियर रिसर्च साइंटिस्ट का 1 और साइंटिफिक ऑफिसर का 1 पद शामिल है। ये भर्तियां आरक्षण रोस्टर के अनुसार होंगी।
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कॉलेज में संविदा भर्तियों का प्रभाव
पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज, रायपुर में संविदा पदों पर भर्ती का निर्णय चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, लेकिन इसके कुछ दीर्घकालिक और अल्पकालिक प्रभावों पर भी ध्यान देना जरूरी है।
लंबे समय से रिक्त सहायक प्राध्यापक, सीनियर रेसीडेंट और अन्य पदों के भरने से मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही, अंबेडकर अस्पताल में हृदय रोग और अन्य विभागों में इलाज की व्यवस्था बेहतर होगी, क्योंकि डॉक्टरों की कमी से मरीजों को होने वाली असुविधा कम होगी। भर्ती से चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों, विशेषकर युवा डॉक्टरों और शिक्षकों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
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नकारात्मक प्रभाव और चुनौतियां
संविदा पर नियुक्त डॉक्टर और शिक्षक अक्सर दो-तीन साल में नौकरी छोड़ देते हैं, क्योंकि वेतन कम है और निजी क्षेत्र में बेहतर अवसर उपलब्ध हैं। इस भर्ती से तात्कालिक राहत मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता के लिए नियमित भर्तियों की जरूरत बनी रहेगी।दरअसल, संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तुलना में कम वेतन और सीमित सुविधाएं मिलती हैं, जिसके कारण योग्य और अनुभवी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस या निजी अस्पतालों की ओर आकर्षित हो सकते हैं। इससे भर्ती का उद्देश्य पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो पाएगा। संविदा भर्ती में कभी-कभी अनुभव और योग्यता के मामले में समझौता हो सकता है, क्योंकि नियमित भर्ती की तुलना में संविदा प्रक्रिया में चयन मानदंड कम कठोर हो सकते हैं। इससे शिक्षा और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।
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