फौज से हुआ रिटायरमेंट लेकिन नहीं बन पाए सब इंस्पेक्टर, छह साल में बदली तीन सरकारों का नतीजा सिफर

रमन सरकार में शुरु हुई परीक्षा भूपेश सरकार से होते हुए विष्णु सरकार तक आ गई है यानी सूबे में तीन सरकारें बदल चुकी हैं लेकिन जो युवा सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में बैठे थे उनकी किस्मत नहीं बदली।

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Arun tiwari
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Retired from arm could not become sub-inspector
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बेरोजगार युवाओं की हर सूबे में यही कहानी है। दिल में है गुस्सा लेकिन आंखों में पानी है। छत्तीसगढ़ में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा को छह साल बीत गए हैं लेकिन नतीजा अब तक नहीं आया। रमन सरकार में शुरु हुई परीक्षा भूपेश सरकार से होते हुए विष्णु सरकार तक आ गई है यानी सूबे में तीन सरकारें बदल चुकी हैं लेकिन जो युवा सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में बैठे थे उनकी किस्मत नहीं बदली। रिजल्ट के इंतजार में बैठे युवा अब आंदोलन पर आमादा हो गए हैं। कभी गृह मंत्री का बंगला घेरते हैं तो कभी आमरण अनशन पर बैठ जाते हैं। सुशासन का दावा करने वाली विष्णु सरकार अपने आठ महीने में इन बेरोजगारों के हाथों को काम नहीं दे पाई है यानी अब तक इनका रिजल्ट घोषित नहीं कर पाई। 



युवाओं का आमरण अनशन



सब इंस्पेक्टर बनने का सपना संजोए युवा अब आजिज आ चुके हैं। सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए रमन सरकार ने परीक्षा आयोजित की। साल 2018 में सब इंस्पेक्टर की लिखित परीक्षा हुई। 2018 में सरकार बदली और प्रदेश की सत्ता पर भूपेश बघेल सरकार आ गई। इस दौरान फिजिकल, दौड़, इंटरव्यू जैसे सभी औपचारिकताएं पूरी हो गईं लेकिन रिजल्ट घोषित नहीं हुआ। 2023 में फिर सरकार बदल गई। अब प्रदेश में विष्णुदेव सरकार है। युवाओं को उम्मीद जगी कि रिजल्ट अब आ जाएगा।

 

9 महीने बीत गए लेकिन सब इंस्पेक्टर परीक्षा का परिणाम गर्भ से बाहर नहीं आ पाया। सब इंस्पेक्टर के उम्मीदवार बीएल साहू 2018 में फौज से रिटायर हुए और सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में बैठ गए। नतीजे के इंतजार में साहू को अब आमरण अनशन पर बैठना पड़ रहा है। साहू युवाओं में जोश भी भर रहे हैं कि वे निराश न हों क्योंकि हम सरकार से अपना हक लेकर रहेंगे। साहू कहते हैं कि पहले किसान की आत्म हत्या की बातें होती थीं अब बेरोजगार आत्महत्या का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। - एंबीयंस : बीएल साहू - सब इंस्पेक्टर परीक्षा उम्मीदवार

 

सब इंस्पेक्टर परीक्षा उम्मीदवार बीएल साहू नतीजा आने तक आमरण अनशन पर बैठे हैं तो सब इंस्पेक्टर के एक और उम्मीदवार ने अलग तरीके से अपना गुस्सा दिखाया। उम्मीदवार पीयूष शर्मा ने दुर्ग से 65 किलोमीटर दूर रायपुर तक दौड़ लगा दी। भारी बारिश ने भी इस उम्मीदवार का हौसला नहीं तोड़ा और ये दौड़ते दौड़ते ही धरना स्थल तक पहुंच गया।

सरकार ने इस परीक्षा के परिणाम को घोषित करने में इतना समय लगा दिया कि कई युवा ओवरऐज हो गए हैं। वे अब दोबारा सब इंस्पेक्टर की परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। कई युवा ऐसे हैँ जिन्होंने फॉर्म भरा तब 28 साल के थे,तब वे बच्चे थे अब बच्चों के बाप बन गए हैं लेकिन सब इंस्पेक्टर नहीं बन पाए। धरना स्थल पर तख्तियां लिए युवतियां भी बैठीं हैं। वे भी बेसब्री से इस परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रही हैं।



गृहमंत्री के बंगले पर धरना



बात सिर्फ इसी आमरण अनशन की नहीं है। ये युवा पिछले छह साल से परीक्षा परिणाम के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह परीक्षा व्यापम ने आयोजित की थी लेकिन व्यापम भी मध्यप्रदेश के व्यापम की तरह ही निकला। कुछ दिन पहले ये युवा गृहमंत्री विजय शर्मा के बंगले पर पहुंचे थे। गृहमंत्री नहीं थे तो इन्होंने घंटों वहां बैठकर अपना विरोध जताया। जब गृहमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए इनको आवश्वासन दिया तब इन्होंने धरना खत्म किया। अब इन युवाओं ने ठान लिया है कि जब तक रिजल्ट नहीं तब तक आंदोलन बंद नहीं।

 

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