दंतेवाड़ा में 350 करोड़ का DMF... फिर भी 39 स्कूलों के लिए भवन नहीं
शिक्षा सत्र 2025-2026 की शुरूवात आधी-अधूरी तैयारी के साथ हो गया है। ज्यादातर स्कूलों में दर्ज संख्या न के बराबर रही है, कटेकल्याण के दूरदराज वाले गांवों में बच्चों और पालकों को 16 जून से स्कूल खुलने की खबर तक नहीं थी।
शिक्षा सत्र 2025-2026 की शुरूवात आधी-अधूरी तैयारी के साथ हो गया है। ज्यादातर स्कूलों में दर्ज संख्या न के बराबर रही है, कटेकल्याण के दूरदराज वाले गांवों में बच्चों और पालकों को 16 जून से स्कूल खुलने की खबर तक नहीं थी। कटेकल्याण के नयानार के जोगापारा प्राथमिक शाला में सोमवार को 11 बजे तक ताला लगा रहा। रसोइए ने बताया शिक्षक बच्चों का यूनिफार्म लेकर देर से आएंगे, बच्चो को अभी स्कूल खुल जाने की जानकारी नहीं है, ग्रामीण क्षेत्रों में पहले दिन स्कूल सूने रहे। जिले में कई स्कूल एक कमरे में तो कहीं झोपड़ी में चलते हैं। ब्लैक बौर्ड भी नहीं है। जबकि 350 करोड़ की डीएमएफ मिलती है।
जगदलपुर नए शिक्षा सत्र की शुरूआत सोमवार से हो गई है। नया शिक्षा सत्र 2025-26 शुरू होने के साथ ही स्कूलों में रौनक भी लौट आई है। शिक्षक जहां अपने काम में जुट गए हैं, वहीं बच्चों ने भी कक्षाओं से अपना नाता जोड़ लिया है। हालांकि अधिकांश स्कूलों में पहले दिन बच्चों की उपस्थिति काफी कम रही, लेकिन अपने पुराने दोस्तों को वापस अगली कक्षा में पाकर बच्चों का उत्साह भी दोगुना दिखा।
दंतेवाड़ा के नवानार ग्राम पंचायत के जोगापारा स्कूल एक झोपड़ी में चलता है वह भी उधार की, स्कूल का अपना कोई भवन नहीं है, यहां एक कमरे में जहां दिन में भी अंधेरा रहता है यहीं बच्चे पढ़ते हैं। बारिश में कमरे के अंदर और बाकी समय बाहर पढ़ाई होती है, 5 फीट के कमरे में पहली से 5वीं तक की क्लास लगती है। स्कूल में ब्लैक बोर्ड तक नहीं है दीवारों पर 11 खड़ी और पूरी वर्णमाला लिखी है। सोमवार को झोपड़ी वाले स्कूल में ताला लगा रहा, रसोइया मौजूद था।
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शिक्षा सत्र 2025-26 की शुरुआत कब से हुई और पहले दिन स्कूलों में क्या स्थिति रही?
शिक्षा सत्र 2025-26 की शुरुआत सोमवार, 16 जून से हुई, लेकिन अधिकांश स्कूलों में पहले दिन बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रही। कई दूरदराज़ गांवों में बच्चों और पालकों को स्कूल खुलने की जानकारी तक नहीं थी।
दंतेवाड़ा जिले के जोगापारा स्कूल की क्या स्थिति है?
जोगापारा स्कूल एक झोपड़ी में चलता है, जो उधार की है। वहां 5 फीट के एक कमरे में पहली से पांचवीं तक की क्लास लगती है। स्कूल में ब्लैक बोर्ड नहीं है, और दीवारों पर ही वर्णमाला लिखी हुई है।
क्या सरकार को शिक्षा सुधार के लिए धन मिलता है?
हां, जिले को डीएमएफ (DMF) मद से 350 करोड़ रुपये मिलते हैं, लेकिन इसके बावजूद कई स्कूल झोपड़ी में या एक कमरे में चल रहे हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।