शिव शंकर सारथी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ के आलोक शुक्ला को प्रख्यात ग्रीन नोबल अवार्ड के लिए चुना गया है। यह अवार्ड 12 सालों से जारी, आंदोलन की अगुआई के बदले दिया जा रहा है। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के आंदोलनकारी हैं आलोक शुक्ला।
कहां है हसदेव अरण्य?
हसदेव अरण्य, सरगुजा संभाग का हिस्सा है। यह अरण्य 445, 000 एकड़ में फैला जंगल है। यह जंगल जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है। हसदेव अरण्य के इलाकों में 21 कोल खदानों की मंजूरी के खिलाफ दर्जनों गांव के लाखों लोग गांधी वादी तरीके से 12 सालों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। जिस हसदेव को बचाने आलोक शुक्ला को प्रख्यात अवार्ड दिया जा रहा है। वह हसदेव राज्य की राजनीती का केंद्र भी रहा है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के मोहम्मद अकबर, भूपेश बघेल, तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह/भाजपा को टारगेट किया करते थे। 2018 के चुनावी घोषणा पत्र (कांग्रेस) में हसदेव के संरक्षण की बातें थी, लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही भूपेश बघेल वादे से मुकर गए। उनके कार्यकाल में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के आंदोलनकारी 300 किलोमीटर पैदल चलकर आए, लेकिन बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिलना तक मुनासिब नहीं समझा। (राज्यपाल अनुसूईया उइके के मिलने के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आंदोलनकारियों से मुलाकात की थी)
हसदेव अरण्य से अडानी का क्या है रिश्ता?
साल 2003 से 2018 तक, छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार थी। Elephant रिजर्व एरिया हमने बनाया की बात तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह करने लगे। तब कांग्रेस के नेताओं ने आरटीआई जरिए मिले पेपर्स के आधार पर यह आरोप लगाया कि अडानी के कोल खदान के लिए कॉरिडोर बना रहे हैं मुख्यमंत्री रमन सिंह। लेमरू एलीफैंट रिजर्व एरिया का रकबा हमने बढ़ाया, प्रदेश अध्यक्ष से मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल ने यह श्रेय लिया। हसदेव के जंगलों की रक्षा होनी चाहिए, की बात कहने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनने के बाद बदल से गए। 300 किलोमीटर की पद यात्रा करके आए आंदोलनकारियों से बोले, सबसे पहले आंदोलनकारी अपने घरों की बिजली कटवा लें।
हसदेव अरण्य की क्या है ताजा स्तिथि?
21 में से 17 कोल ब्लॉक का निलंबन रद्द हुआ है, लेकिन 4 कोल ब्लॉक्स की मंजूरी बरकरार है। इस मंजूरी के खिलाफ आंदोलन जारी है। जल जंगल जमीन के अस्तित्व के लिए आंदोलनकारी जंग जारी रहने की बात कह रहे हैं।