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रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच बन रहे एक्सप्रेस वे को कुछ अधिकारियों ने मोटी कमाई का एक्सप्रेस वे बना दिया। यह खबर द सूत्र ने प्रमुखता से दिखाई थी। द सूत्र ने ही खुलासा किया था कि तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू समेत कुछ अधिकारियों ने मिलकर भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेला।
निर्भय साहू ने एक्सप्रेस वे के लिए 32 प्लॉट को 142 प्लॉट में बांट दिया गया। 32 प्लॉट का मुआवजा 35 करोड़ हो रहा था लेकिन इन अधिकारियों ने इसके 142 टुकड़े कर मुआवजा बना दिया 326 करोड़। इस मुआवजे में से 248 करोड़ बांट भी दिए गए। सरकार ने इस एक्शन लिया और निर्भय साहू को सस्पेंड कर दिया। यह एक्सप्रेस वे भारत सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जा रहा है।
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रायपुर टू विशाखापट्टनम एक्सप्रेस वे बना भ्रष्टाचार का रास्ता
भारत सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम के बीच एक्सप्रेस वे बनाया जाना है। छत्तीसगढ़ से विशाखापट्टनम की दूरी करीब 546 किलोमीटर है। कॉरिडोर बन जाने से यह दूरी घटकर 463 किमी हो जाएगी।
यानी रायपुर से विशाखापट्टनम की दूरी 83 किमी कम हो जाएगी। कॉरिडोर में प्रवेश करने के बाद यात्री कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। विशाखापट्टनम जाने वाले यात्री अभी जगदलपुर होकर जाते हैं। लेकिन इसे कुछ अधिकारियों ने मोटी कमाई का जरिया बना लिया। इन अधिकारियों ने प्रतिबंध के बाद भी सरकारी नियमों को ठेंगा दिखाकर कॅरप्शन का ऐसा खेल खेला कि खुलासा होने के बाद लोग हैरान हो गए।
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क्या है पूरा खेला
जमीन अधिग्रहण के नियमों के अनुसार ग्रामीण अंचल में 500 वर्गमीटर से कम जमीन है तो उसका मुआवजा अधिक मिलता है। यदि 500 वर्गमीटर से जमीन ज्यादा है तो उसका पैसा कम मिलता है। उदाहरण के तौर पर एक एकड़ जमीन है तो उसका मुआवजा 20 लाख होगा। यदि इसी जमीन को टुकडों में बांटकर 500 वर्गमीटर से कम कर दिया जाए तो मुआवजा बढ़कर करीब एक करोड़ का हो जाएगा।
रायपुर- विशाखापट्टनम कॉरिडोर के पास होते ही बड़े-बड़े रसूखदारों ने अफसरों से मिलकर ज्यादातर जमीन को 500 वर्गमीटर के नीचे कर दिया। इस वजह से मुआवजे की रकम बहुत ज्यादा बढ़ गई। जिससे अफसरों को भी शक हुआ और जांच कराई गई। जांच में सामने आया कि रायपुर के पास अभनपुर ब्लॉक के 32 प्लॉट को काटकर 500 वर्गमीटर के 142 प्लॉट बना दिए गए।
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32 प्लॉट का मआवजा 35 करोड़ बन रहा था लेकिन छोटे टुकड़े काटने के बाद ये मुआवजा बना 326 करोड़। इस मुआवजे में से 248 करोड़ रुपए बांट भी दिए गए। हैरानी की बात ये भी है कि सूचना के प्रकाशन के बाद जमीन का डायवर्सन या बंटान का काम प्रतिबंधित हो जाता है। लेकिन इन अधिकारियों ने नियमों को ठेंगा दिखाकर मलाई चाट ली।
इसमें तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू ही इस भ्रष्टाचार के मास्टर माइंड थे। जांच कमेटी ने निर्भय साहू को दोषी माना और सरकार ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर निर्भय साहू को सस्पेंड कर दिया। भारतमाला प्रोजेक्ट का ऐलान होने के बाद रायपुर और धमतरी के बड़े व्यवसायियों ने यहां की जमीन खरीद ली। और अधिकारियों ने इन रईसों के साथ मिलकर ये बड़ा घोटाला कर दिया। यह मामला विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने उठाया था।
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