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छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा, भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राहुल योगराज टिकरिहा एक बड़े विवाद में फंस गए हैं। उनके चाचा रविकांत टिकरिहा ने उन पर अवैध संबंध रखने का सनसनीखेज आरोप लगाया है, जिसके कारण उनका परिवार बिखर गया।
इस संबंध में एक 18 मिनट का ऑडियो और एक शिकायती पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। यह मामला बेमेतरा जिले के सिलहट गांव से जुड़ा है, और इसने भाजपा की नैतिकता और नेतृत्व चयन की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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आरोपों का केंद्र चाचा का शिकायती पत्र
रविकांत टिकरिहा ने अपने शिकायती पत्र में दावा किया है कि राहुल टिकरिहा के अवैध संबंधों के कारण उनका परिवार तबाह हो गया। पत्र के अनुसार, इस मामले ने उनके घरेलू जीवन को पूरी तरह बर्बाद कर दिया, और परिवार के सदस्यों के बीच गहरी दरार पैदा हो गई।
रविकांत ने समाज के अध्यक्ष से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह पत्र और 18 मिनट का ऑडियो क्लिप, जिसमें कथित तौर पर इस मामले से संबंधित बातचीत शामिल है, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
इस ऑडियो की प्रामाणिकता की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। कई यूजर्स ने राहुल टिकरिहा के नेतृत्व और उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है।
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पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप
शिकायती पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि राहुल टिकरिहा के राजनीतिक रसूख के कारण स्थानीय पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। रविकांत का दावा है कि उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज की थी, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
इस निष्क्रियता ने मामले को और तूल दे दिया है, और सोशल मीडिया पर लोग पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा है कि यदि पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो यह मामला इतना बड़ा विवाद न बनता।
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सोशल मीडिया पर बहस और तंज
सोशल मीडिया पर इस मामले ने तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाई हैं। कई यूजर्स ने भाजपा पर नैतिकता की कसौटी पर खरा न उतरने का आरोप लगाया है। एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, "भाजयुमो का अध्यक्ष बनकर राहुल टिकरिहा ने परिवारवाद की नई परिभाषा गढ़ दी है।" कुछ लोगों ने मांग की है कि राहुल को तत्काल पद से हटाया जाए, अन्यथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए।
दूसरी ओर, कुछ यूजर्स ने इसे विपक्ष की साजिश बताते हुए राहुल का बचाव किया है। इस वायरल ऑडियो और पत्र ने न केवल राहुल टिकरिहा की छवि को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि भाजपा की युवा इकाई और संगठन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं। लोग इस मामले की निष्पक्ष जांच और सच्चाई सामने लाने की मांग कर रहे हैं।
राहुल टिकरिहा का पक्ष
राहुल टिकरिहा ने इस मामले में अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है और मीडिया से दूरी बनाए रखी है। हालांकि, उनके करीबी सूत्रों का दावा है कि यह मामला चार साल पुराना है और राहुल को इस मामले में कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, यह मामला पहले भी राहुल को बदनाम करने के लिए उठाया गया था, और अब इसे फिर से तूल देकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। राहुल के करीबियों ने बताया कि उन्होंने इस मामले के संबंध में कोर्ट के दस्तावेज भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को सौंप दिए हैं।
जल्द ही राहुल संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रख सकते हैं। हालांकि, भाजपा और भाजयुमो की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, जिससे विवाद और गहरा गया है।
भाजयुमो अध्यक्ष के रूप में राहुल की नियुक्ति
राहुल टिकरिहा को 18 दिन पहले ही भाजयुमो का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति रवि भगत के सोशल मीडिया पर मंत्री से सवाल पूछने के बाद हुई थी। इस दौरान भाजपा ने संगठन में 47 नए पदाधिकारियों की नियुक्ति का आदेश भी जारी किया था। राहुल की नियुक्ति को लेकर उस समय संगठन में उत्साह था, लेकिन इस नए विवाद ने उनकी भूमिका और नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भाजपा के लिए चुनौती
यह मामला भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, खासकर तब जब पार्टी नक्सल उन्मूलन, विकास, और नैतिकता जैसे मुद्दों पर अपनी मजबूत छवि बनाए रखने की कोशिश कर रही है। सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो और शिकायती पत्र ने पार्टी की युवा शाखा को निशाने पर ला दिया है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह पार्टी की छवि को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में भाजयुमो से जुड़े नेताओं पर इस तरह के विवाद सामने आ चुके हैं।
उदाहरण के लिए, 2017 में रायगढ़ जिले के एक भाजयुमो नेता पर एक महिला IAS अधिकारी के खिलाफ अश्लील टिप्पणी करने का आरोप लगा था, जिसके बाद उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। इसी तरह, अन्य राज्यों में भी BJYM नेताओं से जुड़े विवाद सामने आए हैं, जैसे हिमाचल प्रदेश में 2019 में दो नेताओं का अश्लील वीडियो वायरल होने पर निलंबन। इन घटनाओं ने पार्टी को असहज स्थिति में डाला है।
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