छत्तीसगढ़ में बज रहा बिहार का डंका, कनेक्शन से मिली कुर्सी

छत्तीसगढ़ में निगम मंडलों में हुई नियुक्तियों में बिहार कनेक्शन खूब चला है। छत्तीसगढ़ के युवा नेताओं को जाति के आधार पर पद मिले तो कई लोगों को सिर्फ बिहार कनेक्शन के आधार पर कुर्सी मिली।

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Arun tiwari
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singhasan chhatisi 13 april 2025 journalist arun tiwari the sootr
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छत्तीसगढ़ में निगम मंडलों में हुई नियुक्तियों में बिहार कनेक्शन खूब चला है। छत्तीसगढ़ के युवा नेताओं को जाति के आधार पर पद मिले तो कई लोगों को सिर्फ बिहार कनेक्शन के आधार पर कुर्सी मिली। जो भाईसाब के समर्थक थे उनको अच्छे पद दिए गए। 

वहीं आईएएस बिरादरी इन दिनों बहुत चिंता में हैं। चिंता करॅप्शन में फंस रहे उनकी बिरादरी के लोगों की है। अब सीनियरों ने हिदायत जारी कर दी है कि करॅप्शन से दूर रहें। एक नेताजी बार बार जैकेट सिलवा रहे हैं लेकिन शपथ नहीं हो पा रही। छत्तीसगढ़ की ऐसी ही अनसुनी राजनीतिक और प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।  

 

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हम तो भाईसाब के आदमी हैं

छत्तीसगढ़ में जब से निगम मंडलों में नियुक्ति की सूची जारी हुई है तब से इसकी चर्चा खूब चल रही है। दरअसल निगम मंडलों में ताजपोशी में बिहारी कनेक्शन ने खूब काम किया है। बिहार के भाईसाब की नजरे इनायत से उनके समर्थकों को मनचाही कुर्सी मिली है। चर्चा एक बड़े पद पर बैठे नेताजी की ज्यादा है। वे खुद मूलत: बिहार से हैं इसलिए उनको सबसे बड़ी कुर्सी मिली है।

भाईसाब की सिफारिश उपचुनाव में टिकट दिलाने में काम नहीं आई तो उन्होंने सरकार बनने के बाद बड़े निगम का चेयरमैन बनाकर अपने वाले की सरकार में हिस्सेदारी करा दी। यानी यहां पर नान कनेक्शन चला, नॉन कनेक्शन नहीं।

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नॉन कनेक्शन वाले मेहनती नेता मन मसोसकर रह गए। वैसे कुछ नेता अपने समर्थकों को पद दिलाने में कामयाब हो गए। इनमें धरमलाल कौशिक,डॉ रमन सिंह और राजेश मूणत जैसे बड़े नेता शामिल हैं। अच्छे पद पाने वाले नेता जहां तहां कहते हुए सुनाई दे जाते हैं कि हम तो भाईसाब के आदमी हैं। 


आईएएस बिरादरी चिंतित क्यों

इन दिनों आईएएस बिरादरी बहुत चिंता में है। यह चिंता करॅप्शन को लेकर है। हाल ही में आईएएस बिरादरी के वरिष्ठ लोगों ने मीटिंग कर इस पर चिंता जाहिर की। चर्चा इस बात पर हुई कि छत्तीसगढ़ में भारतीय प्रशासनिक सेवा जैसे प्रतिष्ठित पद की साख पर बट्टा लग रहा है।

तीन-तीन आईएएस अफसर जेल में बंद हैं। यह बड़ी चिंता की बात है। सीनियर अफसरों ने यह नसीहत भी दी कि आईएएस अफसरों को करॅप्शन के दाग से बचना चाहिए। पहले ही उनको सरकार की तरफ सारी सुविधाएं और अच्छ वेतन मिलता है। उनको अपनी गरिमा बनाए रखना चाहिए। लेकिन इस नसीहत का ज्यादा असर दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि कुछ अफसरों के भाई,भतीजे,साले बड़े ठेकेदार बनकर काम कर रहे हैं।  

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नेताजी का जैकेट तैयार

छत्तीसगढ़ के कई नेता उम्मीद से हैं लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी होने का नाम नहीं ले रहीं। बार बार मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं चलती हैं और अचानक उस गुब्बारे से हवा निकल जाती है। मंत्री बनने की उम्मीद पाले एक नेताजी बार बार जैकेट सिलवा रहे हैं लेकिन शपथ है कि होने का नाम नहीं ले रही। दिसंबर में चर्चा चली थी कि मंत्रिमंडल का विस्तार अब हुआ कि तब हुआ।

नेताजी ने तत्काल नया जैकेट सिलवा लिया। लेकिन वो जैकेट अलमारी में ही रखा रहा। अब कुछ दिन पहले फिर चर्चा हुई कि मंत्रिमंडल का विस्तार कभी भी हो सकता है। नेताजी ने जैकेट निकाल कर पहना तो वो कुछ तंग हो गया था। वे तत्काल पंडरी बाजार पहुंचे और लिनेन का कपड़ा खरीदकर जैकेट का नाप दे आए। नया जैकेट तो तैयार हो गया लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार फिर टल गया। अब वे सोच रहे हैं कि कहीं इतनी देरी न हो जाए कि फिर से जैकेट सिलवाना पड़े।  

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सरकार की ये मेहरबानी लवली है

अलग अलग दल की सरकारों के फैसले अलग अलग हों तो बात समझ में आती है। लेकिन एक दल की सरकार के फैसले अलग अलग हों तो बात कुछ अजीब लगती है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुछ यही हो रहा है। एक कुलपति साहिबा को मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक विश्व विद्यालय से पिछली शिवराज सरकार के समय धारा 57 लगाकर हटा दिया गया था।

उनकी कार्यप्रणाली बहुत विवादित रही है। साथ ही उस समय कुछ स्कैंडल भी हुए थे। लेकिन उन साहिबा पर छत्तीसगढ़ सरकार मेहरबान हो गई है। उनको छत्तीसगढ़ के एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक विश्व विद्यालय का कुलपति बना दिया गया है। आदेश राजभवन से जारी हुआ। अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इन कुलपति साहिबा को हटाने के लिए अपनी ही सरकार का सड़क पर उतरकर विरोध करने लगी है। सवाल यही उठ रहे हैं कि आखिर इन साहिबा पर इतनी मेहरबानी क्यों, क्या प्रदेश में अच्छे कुलपतियों की कमी हो गई है।

 

 

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