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रायपुर. इन दिनों छत्तीसगढ़ में कुछ अनोखा अटपटा सा दिखाई दे रहा है। संघ को मातृ संस्था मानने वाली बीजेपी कई काम उसके उलट कर रही है। हाल ही में एक और इस तरह का उदाहरण देखने को मिला। जो संघ को फूटी आंख नहीं सुहा रहा,वो ही बीजेपी को खूब भा रहा है। बीजेपी के कुछ डायेक्ट इंट्री वाले आयातित नेता आए दिन यहां नजर आते हैं। वे इनको प्रभावशाली सरकारी लोगों से भी मिलवा रहे हैं। वहीं एक साहब हैं जिनकी ब्यूटी की चर्चा हो रही है। लोग उनकी ब्यूटी का राज जानना चाहते हैं। राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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संघ को नापसंद लेकिन बीजेपी को पसंद
क्या आप सोच सकते हैं कि जो संघ को पसंद नहीं होगा वो बीजेपी को पसंद आएगा। लेकिन ऐसा हो रहा है छत्तीसगढ़ में। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के प्रेस क्लब की। दरअसल प्रेस क्लब के जो पदाधिकारी हैं उनके बारे में संघ को लगता है कि वे उनकी विचारधार से मेल नहीं खाते। यानी वैचारिक रुप से वे संघ की विचारधारा के उलट हैं। लेकिन बीजेपी के नेताओं को प्रेस क्लब खूब भाता है। बीजेपी के कुछ नेता तो आए दिन यहां देखे जा सकते हैं। हाल ही में हुआ यूं कि सीएम के कुछ करीबियों ने बजट से पूर्व हुई बैठक में मशवरा दिया कि पत्रकारों को दी जाने वाली श्रद्धा निधि को 10 हजार से बढ़ाकर 12 हजार कर दिया जाए। लेकिन इतना बढ़ाने में भी अधिकारी राजी नहीं थे। लेकिन कुछ दिन बाद कुछ ऐसा हुआ कि सीएम की मीडिया से जुड़े लोग अवाक रह गए।
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प्रेस के क्लब के पदाधिकारी वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मिले और अपना मांगपत्र उनको सौंप दिया। वित्त मंत्री ने भी तत्काल उनकी मांगें मान लीं। बजट में घोषणा हो गई कि पत्रकारों की श्रद्धा निधि 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार की जाती है और प्रेस क्लब के रिनोवेशन के लिए 1 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। अब यह क्रेडिट सीधे सीधे प्रेस क्लब के खाते में चला गया। अब संघ वित्त मंत्री से नाराज है कि उन्होंने यह आखिर क्यों किया। आखिर प्रेस क्लब तो प्रेस क्लब है और इससे पंगा लेना कोई मामूली बात थोड़ी है।
फेयर एंड लवली वाले साहब
एक साहब ऐसे हैं जो हमेशा टिप टॉप रहते हैं यानी फुल मेकअप में। इनको कॉस्मेटिक यानी ब्यूटी प्रोडक्ट भी बहुत पसंद हैं। लोग इनको फेयर एंड लवली वाले साहब कहने लगे हैं। यह साहब नगर निगम के एक बड़े अधिकारी हैं। अब इनकी ब्यूटी का खर्च इनके मातहत कर्मचारी और ठेकेदार उठाते हैं। साहब की कृपा से ही ठेकेदारों को काम मिलता है इसलिए वे साहब को नाराज भी नहीं कर सकते।
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हाल ही में साहब के घर में एक आलीशान पार्टी हुई। इस पार्टी का पूरा खर्च ठेकेदारों ने उठाया। इस फैमिली फंक्शन में कुर्सी,टेंट से लेकर लाइट और केटरिंग तक की व्यवस्था ठेकेदारों के सौजन्य से हुई। इस पार्टी में जब साहब बन ठन कर निकले तो लोग उनकी चमक देखते रह गए। उन्होंने खुद को इतना मेंटेन किया हुआ है कि मॉडल भी शर्मा जाएं। खैर उनको देखकर ठेकेदार बोले कि साहब तो चमकेंगे ही क्योंकि हींग लगे न फिटकरी रंग आए चोखा।
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ये बेचारे काम के बोझ के मारे
छत्तीसगढ़ के एक आईएएस अफसर हैं जो काम के बोझ के मारे हैं। ये साहब दो डिवीजन के कमिश्नर हैं, दो विश्वविद्यालयों के कुलपति का प्रभार है। ऐसा भी नहीं कि छत्तीसगढ़ में आईएएस अफसरों की कमी पड़ गई है। इस समय सचिव स्तर पर 50 से अधिक आईएएस अधिकारी हैं। फिर भी एक अफसर को डबल, ट्रिपल चार्ज दिया गया है। दरअसल यह परिपाटी भूपेश सरकार में शुरु हुई थी जिसे विष्णु सरकार आगे बढ़ा रही है। पिछली सरकार में कुछ अफसरों को इतना काम दिया गया था कि वे काम के बोझ तले दबे रहे। विष्णु सरकार को यह परिपाटी बदलने पर विचार जरुर करना चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर उनकी सुशासन बाबू की छवि पर पड़ेगा।
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