रायपुर। एक तरफ सीएम गुस्से में हैं तो दूसरी तरफ सांसद नाराज। आखिर प्रदेश में ये क्या हो रहा है जो नेताजी को परेशान कर रहा है। प्रशासन के रवैये ने इनको नाराज कर रखा है। अब सरकार ने प्रशासन की नकेल कसने की तैयारी कर ली है। यानी अब सीएम चाबुक चलाने जा रहे हैं। सरकार और प्रशासनिक गलियारे की ऐसी ही अनदेखी, अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का विशेष साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
ये क्या दिखा रहा है जनदर्शन
जब से जनदर्शन शुरु हुआ है तब से सीएम के तेवर कुछ अलग ही नजर आ रहे हैं। दरअसल सीएम नाराज हैं। जनदर्शन में नौकरशाही की कलई तो खुल ही रही है अपनी ही पार्टी के विधायकों और जनप्रतिनिधियों का रवैया भी सामने आ रहा है। सीएम ने अफसरों को बुलाकर पूछा कि जब राशन कार्ड बनाने जैसे छोटे छोटे कामों के लिए लोग मेरे पास आ रहे हैं तो आप लोग क्या कर रहे हैं। सीएम ने कह दिया है कि जिस जिले के लोग छोटी छोटी शिकायतें लेकर उनके पास आएंगे उस जिले के कलेक्टर की जिम्मेदारी तय की जाएगी। सीएम के ये तेवर देखकर अफसर सकते में हैं। वहीं विधायकों से भी कह दिया है कि जनता के प्रति यदि उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला तो वे दोबारा विधायक नहीं बन पाएंगे।
सांसदजी को गुस्सा भी आता है
कांग्रेस के सबसे बड़े नेता को हराकर चर्चा में आए सांसद जी इन दिनों बहुत गुस्से में हैं। संसद में खरा-खरा बोलने सांसद जी की पूछ परख उनके ही इलाके में नहीं हो रही है। दरअसल, हुआ यूं कि उनके संसदीय क्षेत्र में एक थाने का लोकार्पण हुआ, सांसदजी को नहीं बुलाया गया। एक आईजी ऑफिस का फीता काटा गया, निमंत्रण पत्र में सांसद का नाम ही नहीं था। अब सांसदजी को गुस्सा कैसे नहीं आएगा। सांसद का गुस्सा सीएम हाउस तक पहुंच गया है। सीएम ने प्रशासन को सख्त लहजे में कह दिया है कि प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ तो ठीक नहीं होगा। लोग कह रहे हैं कि शांत रहने वाले सांसदजी को गुस्सा भी आता है।
मंत्रिमंडल विस्तार बढ़ा रहा बीपी
साय कैबिनेट का विस्तार है कि हो ही नहीं रहा। चर्चा सांय सांय चल रही है लेकिन विस्तार नहीं हो रहा। ऐसा माना जा रहा था कि जुलाई के पहले सप्ताह में कैबिनेट विस्तार होगा, लेकिन पहला सप्ताह भी निकल गया और इसकी सुगबुगाहट भी बंद हो गई। कैबिनेट विस्तार ने कई दावेदार विधायकों का बीपी बढ़ा दिया है। वे बीपी की गोलियां खा रहे हैं। सीएम हैं कि मुस्कुराकर कर कैबिनेट विस्तार की हवा निकाल देते हैं। अब चर्चा है कि सीएम ने कैबिनेट विस्तार फिलहाल टाल दिया है। विधानसभा सत्र वैसे भी पांच दिन का है तो निकल ही जाएगा। यानी अब फुर्सत में ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।
ये बेचारे काम के बोझ के मारे
इन दिनों आईएएस अफसरों पर काम का बोझ कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। ये अफसर हैं एचओडी यानी डायरेक्टर लेवल के हेड ऑफ डिपार्टमेंट। सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा विभागीय प्रमुख पर ही होता है। सेक्रेटरी तो पॉलिसी बना देते हैँ लेकिन उनको अमलीजामा पहनाने का काम एचओडी का ही होता है। इसे अधिकारियों की कमी कहें या फिर सक्षम अधिकारी का न होना माना जाए, वजह कुछ भी हो लेकिन एचओडी काम के बोझ तले दबे हुए हैं। खुसफुसाहट ये भी है कि जब से सीएम ने अपनी मॉनीटरिंग बढ़ाई है तब से इन पर कुछ ज्यादा ही दबाव बढ़ गया है।
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