1500 करोड़ की लागत से बनीं सिक्स व फोर लेन... तीन साल में ही खराब

irregularities in construction Raipur-Bilaspur National Highway : रायपुर से बिलासपुर के बीच बनाई गई सिक्स और फोर लेन कांक्रीट सड़क महज तीन साल में ही जर्जर हो गई है।

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Kanak Durga Jha
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Six four lanes constructed cost 1500 crores rupees broke down 3 years
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रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाइवे के निर्माण में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। 1500 करोड़ की लागत से बनीं 127 किमी सिक्स व फोर लेन कांक्रीट की सड़क महज तीन साल में ही खराब हो गई है। सड़क में 4-5 एमएम से बड़ी दरारें पड़ गईं। यही कारण है कि ठेका एजेंसी दोबारा सड़क के सभी पैनल को उखाड़कर नया पैनल डालने का काम कर रही है।

एनएचएआई के अफसरों का कहना है कि नेशनल हाइवे का पैनल बदलने का काम सितंबर माह तक काम पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि रायपुर से बिलासपुर तक दो लाख गाड़ियां रोजाना आवाजाही करती हैं। इन गाड़ियों को पहुंचने में दो घंटे लगते थे, जबकि अभी तीन घंटे से अधिक समय लग रहा है।

एनएचएआई के ठेका एजेंसी ने सड़क निर्माण के दौरान 117 किमी के अंतराल में कुल 6600 हजार पैनल बनाया था। दो साल बाद ज्यादातर पैनल में 4 से 5 एमएम से अधिक दरारें पड़ने लगी।

एनएचएआई के नियमानुसार सड़क पर यदि 4 एमएम से अधिक चौड़ी दरारें पड़ती हैं तो कांक्रीट का पूरा पैनल बदलना पड़ता है। वर्तमान में ठेका एजेंसी ने 5800 पैनल बदलने का काम पूरा कर लिया है। वर्तमान में 800 पैनल बदलने का काम बचा है। एनएचएआई को सितंबर 2025 तक पैनल बदलने का टारगेट मिला है।

2018 में तीन कंपनियों को टेंडर, 2021 में बनी सड़क

रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाइवे के 117 किमी निर्माण के लिए एनएचएआई ने वर्ष 2018 में 1500 करोड़ रुपए का तीन अलग-अलग कंपनियों को टेंडर जारी किया था। इसमें रायपुर प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने 48 किमी और बिलासपुर प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने 69 किमी सड़क निर्माण किया।

एनएचएआई ने बिलासपुर तक प्रस्तावित हाइवे के लिए तीन अलग कंपनियों को रायपुर-सिमगा, सिमगा-सरगांव और सरगांव से बिलासपुर तक तीन हिस्से में सड़क बनाने की जिम्मेदारी दी। ठेका एजेंसियों एलएंडटी, पुंज एलायड और दिलीप बिल्डकॉन ने सड़क तो बना ली, लेकिन चार साल में ही दरारें आने लगी, जबकि कांक्रीट की सड़क में दरारें नहीं आती।

 

कांक्रीट की ढलाई, एक दरार आने पर बदलते हैं पूरा पैनल

एनएचएआई के अफसर ने बताया कि कांक्रीट सड़क को अलग-अलग हिस्सों में बनाया जाता है। सड़क के अलग-अलग हिस्सों को ही पैनल कहते हैं। सड़क को पैनल में बनाने का ये फायदा होता है कि यदि सड़क का कोई एक पैनल खराब हो जाता है तो उसे आसानी से उखाड़कर दोबारा बना दिया जाता है।

ऐसे में पूरी सड़क उखाड़ने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे समय की बचत होती है। वहीं डामर सड़क में पैनल नहीं होता है। इसके चलते सड़क के लंबे हिस्से को उखाड़ने की जरूरत पड़ती है।

रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाइवे के निर्माण में बड़ी गड़बड़ी

  • 117 किमी में 6600 पैनल, 5800 बदले जा चुके

  • 4 से 5 एमएम तक की दरारें, सितंबर 2025 तक रिपेयर टारगेट

  • एनएचएआई के नियम: 4 एमएम से ज्यादा दरार पर बदलना होता है पूरा पैनल

  • 3 कंपनियों ने बनाई थी सड़क: एलएंडटी, पुंज एलायड और दिलीप बिल्डकॉन

  • 3 घंटे लग रहे बिलासपुर पहुंचने में, पहले लगता था सिर्फ 2 घंटे

 

शिकायतों पर ​जांच के बाद पैनल बदलने का काम शुरू

एनएचएआई के अफसरों को जब इसकी सूचना मिली तो वह आनन-फानन में जांच करके तुरंत ठेका एजेंसी को सभी पैनल बदलने का आदेश जारी कर दिया। क्योंकि एनएचएआई का ठेका एजेंसी के साथ सड़क बनाने के बाद उसकी देख-रेख के लिए चार साल का अनुबंध है। इसलिए कंपनी बिना ना नुकुर किए पैनल बदलने का काम शुरू कर दिया।

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FAQ

रायपुर-बिलासपुर हाईवे कितने साल में खराब हुआ?
सड़क 3 साल में ही दरारों से खराब हो गई।
इस सड़क पर कुल कितने पैनल बनाए गए थे?
कुल 6600 पैनल बनाए गए, जिनमें से अब तक 5800 बदले जा चुके हैं।
इस प्रोजेक्ट की कुल लागत कितनी थी?
रायपुर-बिलासपुर हाईवे की लागत 1500 करोड़ रुपए थी।

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