छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के खल्लारी में करंट लगाकर जंगली जानवरों का शिकार जारी है और वन विभाग खामोश है। नेशनल हाईवे 353 के पास स्थित मातेश्वरी पहाड़ी के नीचे करंट लगाकर एक राजकीय पशु वन भैंसा और तेंदुआ का शिकार किया गया। मामला सामने आने के बाद वन विभाग के अधिकारियों में थोड़ी हलचल हुई।
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दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और दोनों मृत जानवरों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जांच में जुट गई है। ग्रामीणों ने वन्यजीवों की लगातार हो रही मौतों पर चिंता जताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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पोस्टमार्टम और जांच की औपचारिकता
वन विभाग द्वारा वन्य जीवों की मौत के बाद पोस्टमार्टम और जांच करने की औपचारिकता भर पूरी की जा रही है। विभाग के पास शिकार का रोक लगाने को कोई प्लान नहीं है। साथ ही गश्ती के नाम पर भी खानापूर्ति हो रही है। वन विभाग की उदासीनता का खामियाजा जंगली जानवरों को भुगतना पड़ रहा है। वन विभाग की सुस्ती वन्य जीवों के जीवन पर भारी पड़ रही है।
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वन भैंसा छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु
वन भैंसा छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु है। इसे 1981 में इस दर्जे से नवाजा गया। यह शक्ति, साहस और दृढ़ता का प्रतीक है। यह विशाल, शक्तिशाली और सामाजिक जानवर दलदली क्षेत्रों, नदी घाटियों और घास के मैदानों में पाया जाता है। यह मुख्य रूप से उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व, इंद्रावती टाइगर रिजर्व, और भैरमगढ़ व पामेड़ अभयारण्यों में पाया जाता है।
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वन भैंसा विलुप्ति की कगार पर
छत्तीसगढ़ में वन भैंसा विलुप्ति की कगार पर है और इसे IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के समय वन भैंसों की संख्या लगभग 80 थी, जो 2022 तक घटकर मात्र 9 रह गई थी। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में केवल 6 नर वन भैंसे बचे हैं, जिनमें एक बीमार है।एकमात्र शुद्ध नस्ल का वन भैंसा, "छोटू", जिसकी उम्र 24 वर्ष है।
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