छत्तीसगढ़ में नक्सल खात्मे की ओर मजबूत कदम, मोर्चे पर बड़े अफसरों की तैनाती

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट में असिस्टेंट एएसपी आकाश राव के शहीद होने की दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस घटना के बाद सरकार ने नक्सल समस्या के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने का संकल्प लिया।

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Krishna Kumar Sikander
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Strong step towards ending Naxalism in Chhattisgarh, senior officers deployed on the front the sootr
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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा किए गए एक कायराना आईईडी ब्लास्ट में असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (एएसपी) आकाश राव के शहीद होने की दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल समस्या के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने का संकल्प लिया। सरकार ने एक बड़ा और निर्णायक फैसला लेते हुए नक्सल प्रभावित जिलों में डायरेक्ट इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस) अधिकारियों को एएसपी (ऑपरेशन) के रूप में तैनात किया। आठ डायरेक्ट आईपीएस अधिकारियों की नक्सल मोर्चे पर तैनाती से राज्य और केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 31 मार्च 2026 की डेडलाइन से पहले बस्तर को नक्सलियों के 'लाल आतंक' से पूरी तरह मुक्त कर लिया जाएगा।

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बस्तर में गहराई नक्सल समस्या की चुनौती

छत्तीसगढ़, विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र, लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ रहा है। बस्तर का दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र, घने जंगल और पहाड़ियां नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गए हैं। इन इलाकों में शासन-प्रशासन और विकास की सीमित पहुंच ने नक्सलियों को अपनी गतिविधियों को अंजाम देने का मौका दिया। हालांकि, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और मध्य प्रदेश जैसे अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में यह समस्या छत्तीसगढ़ की तुलना में कम गंभीर है। बस्तर में नक्सलियों की मजबूत पकड़ को तोड़ने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने संयुक्त रूप से रणनीति बनाई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए 31 मार्च 2026 की समयसीमा तय की गई है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सैन्य और विकासात्मक दोनों मोर्चों पर काम किया जा रहा है।

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डबल इंजन सरकार का मिशन मोड

छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद नक्सल समस्या को मिशन मोड पर लिया गया। केंद्र और राज्य की 'डबल इंजन' सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए समन्वित प्रयास शुरू किए। सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दोहरी रणनीति अपनाई:

विकास की पहल : बस्तर जैसे दुर्गम क्षेत्रों में सड़क, बिजली, स्कूल, अस्पताल और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास तेजी से किया जा रहा है। इन योजनाओं का उद्देश्य स्थानीय लोगों का विश्वास जीतना और नक्सलियों के प्रति उनके समर्थन को कम करना है।

सैन्य कार्रवाई : नक्सलियों के खिलाफ सैन्य ऑपरेशनों को और तेज किया गया है। सुरक्षाबलों के कैंपों की संख्या बढ़ाई गई है, जिससे नक्सलियों की गतिविधियों पर नकेल कसी जा सके।

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नक्सल समर्पण और पुनर्वास नीति

नक्सलियों को हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नई नक्सल समर्पण और पुनर्वास नीति लागू की है। इस नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान की जा रही है। इस नीति का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। पिछले डेढ़ साल में:

1388 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया।

1443 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया।

425 माओवादियों को न्यूट्रलाइज किया गया।

इसके अलावा, माओवादी संगठन के बड़े नेताओं जैसे महासचिव बसवराजू और सुधाकर को मार गिराने में सुरक्षाबल सफल रहे हैं। इन सफलताओं ने नक्सलियों के संगठन को कमजोर किया है और उनके मनोबल को तोड़ा है।

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सुरक्षाबलों की कामयाबी और सरकार का समर्थन

नक्सलियों के खिलाफ लगातार मिल रही सफलताओं के लिए सुरक्षाबलों की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने की है। सुरक्षाबलों ने न केवल नक्सलियों के गढ़ में सेंध लगाई है, बल्कि उनके हथियारों और संसाधनों को भी जब्त किया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे नए कैंप नक्सलियों के लिए चुनौती बन रहे हैं, क्योंकि इससे सुरक्षाबलों की पहुंच उन क्षेत्रों तक हो रही है, जो पहले नक्सलियों के नियंत्रण में थे।

एएसपी की शहादत और सरकार का त्वरित फैसला

सुकमा के कोंटा में नक्सलियों द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट में एएसपी आकाश राव की शहादत ने नक्सलियों की कायराना हरकत को एक बार फिर उजागर किया। इस घटना ने न केवल सुरक्षाबलों, बल्कि पूरे देश को दुखी किया। हालांकि, सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया और त्वरित कार्रवाई करते हुए नक्सल मोर्चे पर एक बड़ा फैसला किया। नक्सल प्रभावित जिलों में डायरेक्ट आईपीएस अधिकारियों को एएसपी (ऑपरेशन) के रूप में तैनात किया गया। 

आठ डायरेक्ट आईपीएस की तैनाती

आठ डायरेक्ट आईपीएस अधिकारियों की तैनाती से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशनों में और तेजी आएगी। ये अधिकारी अनुभवी और प्रशिक्षित हैं, जो नक्सलियों के खिलाफ रणनीति बनाने और ऑपरेशनों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस फैसले से सरकार ने अपने मजबूत इरादों को स्पष्ट कर दिया है कि वह नक्सलियों के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतेगी।

बस्तर में विकास की नई इबारत

छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य न केवल नक्सलियों का खात्मा करना है, बल्कि बस्तर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना भी है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, स्कूल और अस्पताल खोले जा रहे हैं, और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। सरकार की यह रणनीति नक्सलियों के समर्थन को कम करने में कारगर साबित हो रही है। 31 मार्च 2026 की डेडलाइन नजदीक आ रही है, और छत्तीसगढ़ सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही। नक्सलियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई, विकास योजनाएं और समर्पण नीति के समन्वय से बस्तर में 'लाल आतंक' का अंत तय माना जा रहा है। सरकार का यह संकल्प है कि बस्तर न केवल नक्सल मुक्त होगा, बल्कि वहां विकास की नई इबारत भी लिखी जाएगी।

अब गिने-चुने रह गए नक्सलियों के दिन

एएसपी आकाश राव की शहादत ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करने का संदेश दिया है। सरकार के ताजा फैसले और सुरक्षाबलों की लगातार सफलताओं से यह स्पष्ट है कि नक्सलियों के दिन अब गिने-चुने रह गए हैं। बस्तर में शांति और विकास की बहाली के लिए केंद्र और राज्य सरकार का यह संयुक्त प्रयास निश्चित रूप से रंग लाएगा।

 

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