Sukma Naxal Surrender: 48 लाख के इनामी 15 माओवादियों ने किया सरेंडर, 4 हार्डकोर नक्सली भी शामिल

छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के तहत सुकमा जिले में आज एक बड़ी सफलता मिली है, 15 सक्रिय माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पित नक्सलियों पर राज्य सरकार द्वारा कुल ₹48 लाख का इनाम घोषित था।

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Harrison Masih
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Sukma: छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे लगातार नक्सल विरोधी अभियानों को आज एक और बड़ी सफलता मिली है। सुकमा जिले में 15 सक्रिय माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया, और सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पित नक्सलियों पर राज्य सरकार द्वारा कुल ₹48 लाख का भारी भरकम इनाम घोषित था।

इस आत्मसमर्पण में पीएलजीए (PLGA) बटालियन-01 के चार हार्डकोर सदस्य भी शामिल हैं, जिसे सुरक्षा बलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।

हार्डकोर सदस्यों पर था लाखों का इनाम

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में अलग-अलग कैडर के सदस्य शामिल हैं, जिनमें 5 महिलाएं और 10 पुरुष माओवादी हैं। इनके आत्मसमर्पण से सुकमा क्षेत्र में नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है।

नक्सली पदनाम            सदस्यों की संख्या
पीपीसीएम (PPCM)         4
एससीएम (SCM)             2
पार्टी सदस्य                     3
अन्य सक्रिय सदस्य           8

कुल इनामी राशि: इन सभी पर मिलाकर लगभग ₹47 लाख की इनामी राशि घोषित थी  ₹48 लाख)।

इनाम का विवरण: इनमें 4 माओवादियों पर ₹8-8 लाख, 2 पर ₹5-5 लाख, 1 पर ₹3 लाख और 1 पर ₹2 लाख, तथा 1 पर ₹1 लाख का इनाम घोषित था।

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पुनर्वास नीति और सुरक्षा कैंपों का असर

आत्मसमर्पित माओवादियों ने मुख्यधारा में लौटने के लिए मुख्य रूप से दो चीजों को जिम्मेदार बताया है:

पुनर्वास नीति: उन्होंने 'छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति' और राज्य सरकार की 'पुना मुर्गम' (नया रास्ता) योजना से प्रभावित होकर हिंसा का रास्ता छोड़ा।

सुरक्षा घेरा: हाल ही में तर्रेम और अंसदरी क्षेत्रों में सुरक्षा कैंपों की बढ़ती उपस्थिति और लगातार चलाए जा रहे अभियानों ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित किया। सुरक्षा बलों के दबाव के कारण वे जंगल में सिमटते जा रहे थे।

साझा अभियान में मिली कामयाबी

इस सफल आत्मसमर्पण अभियान में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और बलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सफलता जिला पुलिस बल, डीआरजी (DRG), आरएएफ (RAF), सीआरपीएफ (CRPF - 02, 212, 217, 223 बटालियन), कोबरा (COBRA 207) और विभिन्न इंटेलिजेंस एजेंसियों के बीच उत्कृष्ट समन्वय का परिणाम है।

सुरक्षा बलों की यह लगातार कामयाबी दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, और नक्सली अब संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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