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Sukma Tendu Leaves Bonus Scam: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। फुलबगड़ी प्राथमिक लघुवनोपज सहकारी समिति के प्रबंधक राजशेखर पुराणिक को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार कर लिया है।
आरोपी को साल 2021-22 के तेंदूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक घोटाले में संलिप्त पाया गया, जिसके तहत संग्राहकों को दी जाने वाली करीब 7 करोड़ रुपए की राशि का गबन किया गया था।
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अब तक कितने आरोपी गिरफ्तार?
ईओडब्ल्यू द्वारा की गई जांच के अनुसार, इस संगठित घोटाले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें शामिल हैं:
4 वन विभाग के अधिकारी/कर्मी
7 लघुवनोपज सहकारी समिति के प्रबंधक/सहयोगी
1 वर्तमान में गिरफ्तार फुलबगड़ी समिति प्रबंधक राजशेखर पुराणिक
कौन है मुख्य आरोपी?
जांच में सामने आया है कि इस घोटाले की मुख्य भूमिका तत्कालीन डीएफओ (वनमंडलाधिकारी) अशोक कुमार पटेल की रही है। उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अन्य अधिकारियों और सहकारी समिति प्रबंधकों के साथ मिलकर संग्राहकों को दी जाने वाली तेंदूपत्ता बोनस राशि का बंदरबांट किया। यह घोटाला साल 2021-22 का है, जब तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस के रूप में लाखों रुपए की राशि वितरित की जानी थी।
गिरफ्तार वन विभाग के अधिकारी/कर्मचारी:
चैतूराम बघेल – उप वनक्षेत्रपाल
देवनाथ भारद्वाज – उप वनक्षेत्रपाल
पोड़ियामी इड़िमा उर्फ हिडमा – उप वनक्षेत्रपाल
मनीष कुमार बारसे – वनरक्षक
गिरफ्तार लघुवनोपज समिति प्रबंधक और सहयोगी:
मनोज कवासी
पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु
मोहम्मद शरीफ
सी.एच. रमना (चिटूरी)
सुनील नुप्पो
रवि कुमार गुप्ता
आयतू कोरसा
क्या है सुकमा तेंदूपत्ता बोनस घोटाला?
सुकमा तेंदूपत्ता बोनस घोटाला एक बहु-करोड़ का वित्तीय घोटाला है, जिसमें वन विभाग के अधिकारी, लघुवनोपज सहकारी समितियों के प्रबंधक और अन्य कर्मचारी शामिल होकर तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाले बोनस की राशि का गबन करते पाए गए।
वर्ष 2021-22 के दौरान तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले श्रमिकों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) के रूप में करोड़ों रुपये वितरित किए जाने थे। लेकिन जांच में सामने आया कि इस राशि में से लगभग 7 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। आरोपियों ने संग्राहकों के नाम पर फर्जी भुगतान दिखाकर, धोखाधड़ी से रकम निकाल ली और इसे निजी लाभ के लिए उपयोग किया।
यह घोटाला उस समय उजागर हुआ जब शिकायतों और वित्तीय अनियमितताओं की जांच शुरू हुई और ईओडब्ल्यू ने इस संगठित भ्रष्टाचार के पीछे मौजूद नेटवर्क को उजागर किया। यह मामला न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि वनवासियों के अधिकारों और आजीविका पर भी एक बड़ा आघात है।
ईओडब्ल्यू की जांच जारी
ईओडब्ल्यू ने बताया कि इस मामले की गहन विवेचना जारी है और अन्य संदिग्धों पर भी शिकंजा कस सकता है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस घोटाले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि तेंदूपत्ता संग्राहकों के हक की राशि की हेराफेरी करने वालों को सख्त सजा दिलाई जा सके।
तेंदूपत्ता बोनस छत्तीसगढ़ के लाखों वनवासी मजदूरों की आजीविका से जुड़ा हुआ है और इस तरह का घोटाला न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि वन समुदाय के अधिकारों का शोषण भी है। सरकार ने संकेत दिए हैं कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
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